खेल

अपना घर गिरवी रखकर खड़ी की अकादमी तााकि इंडिया को दे सकें सिंधु, साइना और श्रीकांत जैसे चैंपियंस, जानें कौन

देश का एक ऐसा द्रोणाचार्य जिसकी अकादमी ने देश को पी वी सिंधू, किदंबी श्रीकांत, साइना नेहवाल और मानसी जोशी जैसे चैंपियंस दिए हैं। आज उनके जीवन से जुड़े कई किस्सा से पर्द उठाएगें।

भारतीय बैडमिंटन की उज्ज्वल उम्मीद

अपने घुटने के हुए कई ऑपरेशन के बावजूद पुलेला गोपीचंद वर्षों तक भारतीय बैडमिंटन की उज्ज्वल उम्मीद बने रहे। 1996 से वह लगातार पांच साल तक भारतीय नेशनल बैडमिंटन चैंपियन रहे और पुरुष टीम और पुरुष एकल में 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए रजत और कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्हें अगले साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

एकमात्र ओलंपिक उपस्थिति दर्ज

अपने आक्रामक खेल के लिए प्रसिद्ध पुलेला गोपीचंद ने सिडनी 2000 में अपनी एकमात्र ओलंपिक उपस्थिति दर्ज कराई। पहले दौर में बाई मिलने के बाद भारतीय शटलर ने अपनी पहली चुनौती में यूक्रेन के व्लादिस्लाव ड्रुज़ेन्को का सामना किया। इस मैच में काफी लंबी रैलियां चलीं। इसके बाद यह भारतीय टेनिस खिलाड़ी प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त और ओलंपिक रजत पदक विजेता हेंड्रावन के खिलाफ एक सूजे हुए घुटने और तेज़ बुखार के साथ कोर्ट पर उतरा और 9-15, 4-15 से उसे हार का सामना करना पड़ा।

ट्रेनिंग के दौरान कई मुश्किलों का सामना किया

पुलेला गोपीचंद एक बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि “मैंने अपने ट्रेनिंग के दौरान कई मुश्किलों का सामना किया था। कभी अच्छे कोर्ट नहीं मिलते, तो कभी लाइट और कभी जिम! इसलिए जब मैंने ऑल इंग्लैंड टाइटल जीता, तो सबसे पहले मैं एक ऐसी अकादमी खोलना चाहता था, जहां खिलाड़ियों को एक ही छत के नीचे सबकुछ मिले!”

पांच बार नैशनल चैंपियन रह चुके गोपीचंद ने फ़ंड के लिए कई दरवाजे खटखटाये पर निराशा ही हाथ लगी। इस पर भी खुलकर बात किया और गोपीचंद ने कहा “मुझे घंटों ऑफिसों के बाहर खड़ा रखा जाता और अंत में कहा जाता कि ‘बैडमिंटन’ कभी भारत का सुनहरा भविष्य नहीं बन सकता। ये बातें मुझे कांटे की तरह चुभती थीं!! और आखिर मैंने इस अकादमी को अपने दम पर बनाने का फ़ैसला किया!”

अपना घर गिरवी रखा

पहले इतने पैसे तो थे नहीं जितने आज के समय खेलों में पैसों की बारिश होती हैं, इसी वजह गोपी जिंदगी के कई बड़े फैसले उठाए, एक बार तो वह तो अपना घर गिरवी रख दिया जिससे अकादमी को खड़ा किया जा सके!

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