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सहवाग के बाद अगर किसी ओपनर ने टेस्ट क्रिकेट में बैज बॉल खेला, तो वह हैं यशस्वी

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यशस्वी जायसवाल ने इंग्लैंड के खिलाफ हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 74 गेंद पर 10 चौकों और 3 छक्कों की मदद से ताबड़तोड़ 80 रन बनाए। यशस्वी जायसवाल वह तूफान है, जो किसी भी टीम को तहस-नहस कर सकता है।

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यशस्वी जायसवाल का तूफान

 भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के पहले दिन के खेल के आखिरी सत्र में जब यशस्वी जायसवाल कप्तान रोहित शर्मा के साथ बल्लेबाजी करने आए, तो इंग्लैंड के किसी भी खिलाङी को यह पता नहीं था कि जायसवाल इतना खतरनाक खेल खेल सकते हैं।

इंग्लैंड के कप्तान और कोच की परेशानी का सबब

जब तक इंग्लैंड के कप्तान और कोच जायसवाल के खिलाफ कोई रणनीति बनाते, तब तक जायसवाल इस तरह सेट हो चुके थे जैसे लकड़ी पर फेविकोल सूखने के बाद सेट हो जाता है। एक तरफ तो इंग्लैंड पहली पारी में महज 246 रन ही बना सका,  ऊपर से जायसवाल का यह रौद्र रूप इंग्लैंड के कप्तान और कोच की परेशानी का सबब रहा। हालांकि दूसरे दिन पहले ही ओवर में जो रूट ने यशस्वी जायसवाल को कॉट एंड बोल्ड कर दिया, लेकिन इस टेस्ट मैच में यशस्वी की छाप तो छूट ही गई।

बांए हाथ का अक्रामक युवा बल्लेबाज

 यशस्वी जायसवाल वह हीरा है, जो किसी भी फार्मेट में फिट हो जाता है। अगर यशस्वी जायसवाल को लगातार क्रिकेट के तीनों फार्मेट में मौका दिया जाए, तो वह किसी भी फॉर्मेट में भारत को निराश नही करेंगे। भारतीय टीम का यह सौभाग्य है कि उनको तीनों फार्मेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला एक बांए हाथ का अक्रामक युवा बल्लेबाज मिला है।

वीरू की तरह खुलकर खेलने देने की आजादी

अब जरूरत यशस्वी जायसवाल को लगातार मौके देकर उनके अंदर आत्मविश्वास बढाने की और उनको वीरू की तरह खुलकर खेलने देने की आजादी देने की है। वीरेंद्र सहवाग कभी भी डर के नही खेले और ज्यादातर मौकों पर सहवाग बहुत जल्द आउट भी हो जाया करते थे। सहवाग के बल्ले से मैराथन पारियां निकलती थीं, लेकिन लोगों को यह भी याद रखना चाहिए कि सहवाग अधिकांश मैचों में 10-15 रन बनाकर भी रिस्की शॉट मारकर आउट हुआ करते थे।

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वह दौर और जमाना अलग था क्योंकि तब भारतीय कप्तान की मजबूरी थी और सहवाग को छूट रहती थी कि उनको टीम से बाहर नहीं किया जाएगा चाहे वह जितने भी रन बनाएं और जैसी भी बैटिंग करें लेकिन आज की परिस्थितियां अलग हैं। अगर यशस्वी जायसवाल वीरू जैसे ही खेलते रहे, तो यह भी संभव है कि यशस्वी जायसवाल कुछ मैचों में लगातार 10-15 रन बनाकर भी आउट हो जाएं। तो ऐसी परिस्थिति में जायसवाल को सहवाग की तरह टीम में नहीं रखा जाएगा क्योंकि इस समय टीम में अन्य युवा भी हैं, जो शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं।

फेल होने पर सहवाग की तरह लगातार मौके नही

इस बात का यशस्वी जायसवाल को ख्याल रखना होगा कि उनको फेल होने पर सहवाग की तरह लगातार मौके नही मिलते रहेंगे। इसलिए जब भी मौका मिले तो उस मौके पर सहवाग बनने की बजाय विराट कोहली बनने की कोशिश करनी चाहिए। हां यह अलग बात है कि T-20I में वह निडर होकर खेल सकते हैं। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनको थोड़ा धैर्य दिखाना ही होगा क्योंकि वही लोग जो आज जायसवाल की तेज पारी पर खूब लहालोट हो रहे हैं और दूसरा सहवाग बोल रहे हैं, कल कम स्कोर पर आलोचना भी करेंगे।

कोई भी कप्तान दूसरा गांगुली नहीं बन जाएगा

जब यशस्वी दूसरा सहवाग बनकर कम स्कोर पर आउट होना शुरू करेंगे, तो कोई भी कप्तान दूसरा गांगुली नहीं बन जाएगा जो यशस्वी को लगातार खिलाते रहेगा। हैदराबाद टेस्ट के दूसरे दिन जो रूट के पहले ही ओवर में जिस तरह यशस्वी टॉस टॉप गेंद पर बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में कॉट एंड बोल्ड हुए, उसे लेकर आलोचकों का एक वर्ग यशस्वी के खिलाफ पहले ही हो चुका है। उनका मानना है कि यशस्वी ने एक निश्चित सेंचुरी छोड़ दी।

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