मिर्जापुरः 17 दिन से इंतजार में पथराई आंखों से छलके खुशी के आंसू

घर में पूजा कराई जा रही है।
Silkyara Tunnel Rescue: 17 दिन से इंतजार की आस में पथराई आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। बेटा टनल से बाहर आया तो मिर्जापुर में भी मां की हिलकियों ने कुछ न कहते हुए भी सब कुछ कह दिया। हाथ ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए जुड़े थे। आंखों से बह रहे आंसू मानों अपने आराध्य के चरण पखारने को आतुर हों। मानों वो मन ही मन कह रही हो कि प्रभु आपने आज मेरी हर मुराद पूरी कर दी।
Silkyara Tunnel Rescue: घरवासपुर में दीपवली सा माहौल
कहने को तो दीवाली 19 नवंबर को बीत चुकी थी लेकिन मिर्ज़ापुर के अदलहाट थाना क्षेत्र के घरवासपुर में 28 नवंबर को दीपोत्सव सा ही माहौल था। दरअसल घरवासपुर के अखिलेश भी उन 41 मजदूरों में से एक थे जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी क्षेत्र स्थित सिलक्यारा टनल में फंसे हुए थे।
Silkyara Tunnel Rescue: ‘पहाड़ सा गुजरा हर एक दिन’
स्थानीय लोग बताते हैं कि वो पहाड़ों के बीच फंसे थे और यहां एक-एक दिन पहाड़ जैसे गुजर रहा था। हर रोज आती ख़बरों के बीच एक आस रहती कि शायद अब अच्छी ख़बर आएगी। 12 नवंबर से अब तक हर व्यक्ति ईश्वर से रोज प्रार्थना करता। इसी बीच त्योहार गुजरे लेकिन अखिलेश के फंसे होने से त्योहारों की खुशियां हमें छूकर भी न गुजरीं। हमारी दीवाली तो अखिलेश के बाहर आने पर आई है।
Silkyara Tunnel Rescue: मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रही मां
अखिलेश के परिवार वालों का कहना है कि 12 नवंबर से एक-एक पल इंतजार किया। टीवी से निगाहें नहीं हटती थीं। एक उम्मीद रहती कि अब कुछ अच्छा होगा। इस बीच मंदिरों में प्रार्थनाएं कीं। ईश्वर ने हमारी सुन लीं। 41 लोग बाहर आए तो सच मानिए 41 परिवारों को जिंदगी फिर से मिल गई है। घर में दिवाली मनाई जा रही है। मां ने जो मन्नत मांगी थी। वो पूरी हुई। गांव के देवस्थानों पर मां जा-जाकर माथा टेकते नहीं थक रही है। वह अनगिनत बार ईश्वर को धन्यवाद देती है। घर में सुंदर कांड का पाठ भी चल रहा है। टनल के पास मौजूद उसके मामा ने अखिलेश की तस्वीर भी भेजी है। अब उसके गांव आने का इंतजार है।
रिपोर्टः आशुतोष त्रिपाठी, संवाददाता, मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश
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