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Uttarkashi: मोतीपुर गाँव मे श्रमिकों के परिजनों के चेहरे खिले, मनाई गई दीवाली

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श्रावस्ती में 12 नवम्बर को दीपावली के दिन जो अंधेरा छाया वो आज 17 वे दिन दूर हुआ आपको बताते चलें कि आज उत्तर काशी से टनल हादसे में फंसे श्रमिकों के बाहर निकाले जाने की खुशखबरी मिलते ही भारत नेपाल सीमा पर बसे  आदिवासी थारू गांव मोतीपुर खुशी और उल्लास में डूब गया. मानो जैसे आज ही दीपावली है घरो को दियों से सजाया गया. गांव के माहौल को देखकर लग रहा था कि जैसे यहां के लोगों के लिए नया सवेरा आ गया हो. चारों ओर बस एक ही चर्चा रही की सुरंग से जिंदगी की जंग जीत गए हमरे गांव के लाल.महिलाएं मन्दिरों में प्रसाद चढ़ाने के लिए दौड़ पड़ी तो घर के देवी देवताओं को पुरुष माथा टेकने लगे.

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मामला उत्तर प्रदेश के भारत-नेपाल सीमा पर बसे श्रावस्ती जनपद के मोतीपुर गांव का है जँहा के अधिकांश लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए परदेस जाते हैं. इन कमाने वालों में गांव के अधिकांश युवा हैं. पांच माह पूर्व गांव के राम सुंदर, संतोष, सत्यदेव, राममिलन, अंकित और जय प्रकाश समेत 20 लोग उत्तराखंड गए थे.और उत्तर काशी जिले के यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिलकियारा टनल निर्माण में मजदूरी कर रहे थे. टनल भूस्खलन से करीब 57 मीटर धंस गई. जहां जनपद के 6 मज़दूर दीपावली के दिन इसमें फंस गए. 12 नवंबर को इनके टनल में फंसे होने की सूचना मिली तो गांव में दीपावली की खुशी गायब हो गई.17 दिनों से टनल में फंसे मजदूरों के परिवार भरपेट भोजन नहीं – कर रहे थे. बेटों की सलामती की चिंता परिवार को खाए जा रही थी. लेकिन आज सभी 41 मज़दूरों समेत जनपद के 6 मज़दूरों को भी सुरक्षित टर्नल से बाहर निकाल लिया गया है.

परिजन धामी सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार को धन्यवाद दे रहे है। ऐसे ही टनल में फंसे सभी श्रमिकों के घर परिवार में खुशियों की बहार आ गई है. लोग घरों में दीपक जलाए और प्रसाद भी बांटे.घर परिवार ही नहीं उत्तर काशी से खुश खबरी मिलते ही गम के समंदर में डूबे पूरे गांव में चहल पहल बढ़ गई वंही परिजनों का कहना है कि हम लोगों को एक एक दिन भारी पड़ रहा था लेकिन सरकार और भगवान के भरोसे का प्रयास सफल हो गया. अब हम लोग गांव के बेटों के घर वापसी की राह देख रहे हैं।

(श्रावस्ती से अभिषेक सोनी की रिपोर्ट)

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