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आगरा में शिव की विशेष कृपा, चार कोने पर लगते हैं सोमवार के मेले, अंग्रेज अफसर का आदेश आज भी लागू

आगरा के राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर की अपनी अलग विशेषता है। यहां शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। वहीं बल्केश्वर महादेव मंदिर की भी विशेष मान्यता है। सिकंदरा स्थित कैलाश मंदिर में एक ही जलहरि में एक साथ दो शिवलिंग स्थापित हैं, जो अपने आप में दुर्लभ हैं। वहीं पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को पृथ्वीराज चौहान के खोजा था, जिनके नाम पर ही इनका नाम पृथ्वीनाथ महादेव पड़ा। यहां एक ही पत्थर से बने शिवलिंग पर भगवान शिव का पूरा परिवार विराजमान है।

श्मशान में स्थापित किया शिवलिंग

रावतपाडा स्थित श्रीमन:कामेश्वर मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि यहां पहले श्मशान था, भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने जाने के दौरान भगवान शिव ने यहां रात्रि विश्राम करने के बाद इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं की थी। वहीं रावली महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस रेल पटरी बिछाने के लिए अंग्रेजों ने शिवलिंग को हटाने का काफी प्रयास किया, लेकिन अगली सुबह पटरियां टेढ़ी पड़ जाती थी। इसके बाद मंदिर को बचाते हुए एस आकार में पटरियों को यहां से गुजारा गया।

शहर में लगती है परिक्रमा

द्वितीय सोमवार की पूर्व रात्रि पर शहर की परिक्रमा लगाई जाती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु रातभर नंगे पैर चलकर शहर के चारों कोनों पर स्थित शिवालयों का जलाभिषेक कर पुण्य-लाभ कमाते हैं। करीब 42 किमी की इस परिक्रमा के मार्ग में जगह-जगह पर भंडारों का आयोजन किया जाता है। पूरे शहर रात से ही शिवमय होना प्रारंभ हो जाता है।

स्थानीय अवकाश भी रहता है

सावन के तृतीय सोमवार को सिकंदरा स्थित प्राचीन कैलाश मंदिर पर मेला लगता है। इस दिन के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक अवकाश घोषित है, जो आगरा के गजट में शामिल हैं, जिसकी शुरुआत अंग्रेज अधिकारी ने अपनी पत्नी के मंदिर में मिलने पर की थी, जो जंगल में शिकार करने के दौरान खो गई थीं।

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