सर्व पितृ अमावस्या कल, हिन्दू धर्म में इस दिन का है विशेष महत्व
Sarva pitru Amavasya : हिंदू धर्म की मान्यतानुसार पितरों के श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. अश्विन मास के कृष्णपक्ष के दिनों को श्राद्ध पक्ष के नाम से जानते हैं. अब कल यानि बुधवार को अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या है. यह दिन अपने आप में विशेष है. मान्यता है कि इस सभी अहूत-पितरों और जिनकी तिथि ज्ञात न हो उनका भी पिंडदान और तर्पण किया जा सकता है.
हिन्दू धर्म में यह है मान्यता
पितृपक्ष में तर्पण और पिंडदान का अपना महत्व है. पूर्वजों की आत्मशांति और उनके मोक्ष के लिए इस दौरान कर्मकांड किए जाते हैं. मान्यता है कि इन दिनों पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं. और अपनी संतान से तर्पण और पिंडदान की अपेक्षा करती हैं. वैसे तो पितरों का तर्पण एक निश्चित तिथि पर किया जाता है. यह तिथि उनके स्वर्गवास की होती है. लेकिन सर्व पितृ अमावस्या पर सभी पितरों का तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं. खासकर अज्ञात तिथि वाले पितरों का.
यह पितृपक्ष का अंतिम दिन है. मान्यता है कि इस दिन के बाद पितर धरती से विदा लेते हैं. पितर अपने बच्चों को खूब आशीष देकर जाते हैं. हिन्दू रीति रिवाज में हमेशा ही पितरों का विशेष स्थान है. कई विशेष कार्यों में भी पितरों के नाम का भोजन और वस्त्र आदि दान किए जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से हमेशा पितरों की कृपा बनी रहती है. इसके बाद से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं. जो कि मां दुर्गा को समर्पित होते हैं.
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