Sabarmati Ashram : दांडी मार्च यात्रा से हस्तनिर्मित खादी, साबरमती आश्रम से जुड़ी है देश की आजादी

Sabarmati Ashram

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Sabarmati Ashram : भारत के राज्य गुजरात के ज़िले अहमदाबाद में बने साबरमती आश्रम के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह अहमदाबाद के पास ही साबरमती नदी के किनारे स्थित है। सन 1915 में ‘सत्याग्रह आश्रम’ की स्थापना हुई थी। इसके बाद 1917 में साबरमती नदी के किनारे पर आश्रम बनाया गया जो कि साबरमती आश्रम के नाम से जाना जाता है।

आश्रम को लेकर इतिहासकारों का कहना है कि ऋषि दधीची का आश्रम भी यहीं पर था। 12 मार्च 1930 के दिन शुरू होने वाली दांडी मार्च यात्रा का आरंभ साबरमती आश्रम से ही किया गया था। यह आश्रम उस समय के आंदोलनों की रणनीतियों का केंद्र रहा है।

आश्रम के कक्ष

1915 से 1933 तक गांधी जी ने इस आश्रम में निवास किया था। यहां ‘हृदय- कुंज’ नाम की एक छोटी सी कुटिया है। ऐसा कहा जाता है कि वे जब साबरमती में होते थे तो इस कुटिया में रहते थे। ‘हृदय- कुंज’ के दाईं तरफ ‘नन्दिनी अतिथिगृह’ कक्ष है। उस समय देश और विदेश से आए अतिथियों को इस ‘अतिथि कक्ष’ में ठहराया जाता था। देश के कई जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी जैसे कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू, दीनबंधु एंड्रयूज, सी. राजगोपालाचारी और रवींद्रनाथ टैगोर आदि जब भी अहमदाबाद आते थे तो ‘नन्दिनी अतिथिगृह’ में ठहरते थे। साथ ही यहां एक ‘विनोबा कुटीर’ भी है। इसमें विनोबा भावे ठहरे थे। आश्रम में रहने वाले सभी स्दस्य हर दिन सुबह – शाम ‘प्रार्थना भूमि’ में एकत्र होकर प्रार्थना करते थे। यहां गांधी जी द्वारा कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए थे। कस्तूरबा की रसोई इस आश्रम के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

उद्योग मंदिर

गांधी जी ने एक और संकल्प लिया था। हस्तनिर्मित खादी के माध्यम से देश को आजादी दिलाने का। आश्रम के उद्योग मंदिर में उन्होंने अपने आर्थिक सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप दिया। 1918 में जब अहमदाबाद के टेक्सटाइल मिल के कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान आश्रम में उद्योग मंदिर का स्थापना की। मानवीय श्रम को आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का प्रतीक बनाया। उद्योग मंदिर से ही चरखे द्वारा सूत कातकर खादी के वस्त्र बनाने की शुरुआत की गई थी।

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