Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा की खास बातें, जानिए पूजन विधि और महत्व

हिंदू धर्म में हर महीने आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इन सभी पूर्णिमाओं में से एक, शरद पूर्णिमा, बहुत शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा अक्सर अश्विन मास में आती है। रास पूर्णिमा, कौमुदी या कोजागरी पूर्णिमा यह पूर्णिमा है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है। ये पर्व रात में चंद्रमा की प्रकाश में मनाया जाता है। माना जाता है कि पूरे वर्ष में केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से भरता है। चंद्र देव को इस दिन पूजना शुभ है। शरद पूर्णिमा को व्रत करना बहुत शुभ होता है।
शरद पुर्णिमा तारीख और महत्व
शरद पूर्णिमा इस वर्ष 28 अक्टूबर को है। इस वर्ष पूर्णिमा 28 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 29 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। इस शरद पूर्णिमा बहुत खास है क्योंकि इस दिन गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग और सिद्धि योग बनेंगे।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है और इस दिन से शरद ऋतु शुरू होती है। यह दिन चंद्रमा की प्रकाश में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है, जो बाद में प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस खीर को खाने से शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है।
क्या करना चाहिए इस दिन
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अक्षत, आसन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करने के बाद सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। संध्याकाल में घी से दूध की खीर बनाकर अर्धरात्रि में भगवान को भोग लगाना चाहिए। रात में सूर्योदय होने पर चंद्रमा की पूजा करें और खीर का नेवैद्य अर्पित करें। रात में खीर से भरे बर्तन को चन्द्रमा की अमृत समान चांदनी में रखना चाहिए और अगले दिन सुबह सबको प्रसाद के रूप में देना चाहिए। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय को पूजना चाहिए।
दिन भर जल और फल खाकर उपवास रखने की कोशिश करें। यदि आप उपवास रखते हैं या नहीं, इस दिन सिर्फ सात्विक भोजन करें। शरीर को शुद्ध और खाली रखने से आप अमृत को अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त कर पाएंगे। इस दिन काला रंग नहीं प्रयोग करें। चमकदार सफेद कपड़े पहनना बेहतर होगा। इस दिन माता लक्ष्मी, धन की देवी, की पूजा भी की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा का व्रत रखने के बाद पूरी रात्रि देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को धन और वैभव मिलता है।
चंद्र ग्रहण का समय
बता दें, चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और देर रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में सूतक 28 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर होगा।