पीएम मोदी के इंटरव्यू पर राहुल गांधी का रिएक्शन, इलेक्टोरल बॉन्ड पर खड़े कर दिए बड़े सवाल

Rahul Gandhi

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Rahul Gandhi: पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के इंटरव्यू के बाद राहुल गांधी की तरफ से रिएक्शन आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ANI को दिए इंटरव्यू पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “इलेक्टोरल बॉन्ड में अहम चीज है- नाम और तारीख।

राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप नाम और तारीखें देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि जब उन्होंने (दानदाताओं ने) चुनावी बांड दिया था, उसके तुरंत बाद उन्हें कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था या उनके खिलाफ सीबीआई जांच वापस ले ली गई थी। प्रधानमंत्री पकड़े गए हैं इसलिए ANI को इंटरव्यू दे रहे हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली योजना है और प्रधानमंत्री मोदी इसके मास्टरमाइंड हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री से पूछिए कि वह बताएं कि एक दिन सीबीआई जांच शुरू होती है और उसके तुरंत बाद उन्हें पैसा मिलता है और उसके तुरंत बाद सीबीआई जांच बंद कर दी जाती है। उन्होने कहा कि बड़ा कॉन्ट्रैक्ट, बुनियादी ढांचे के कॉन्ट्रैक्ट- कंपनी पैसा देती है और उसके तुरंत बाद उन्हें कॉन्ट्रैक्ट दे दिया जाता है। सच तो यह है कि यह जबरन वसूली है और पीएम मोदी ने इसका मास्टरमाइंड किया है।

पीएम मोदी का इलेक्टोरल बॉन्ड पर जवाब

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, लंबे अरसे हमारे देश में चुनाव में कालेधन का इस्तेमला होता था। यह चर्चा लंबे समय से चल रही थी। चुनाव में खर्च तो होता ही है। पैसे लोगों से ही लेने पड़ते हैं। सभी दल लेते हैं। मैं चाहता था कि कोशिश करें कि कालेधन से हमारे चुनाव को कैसे मुक्त करें। पारदर्शिता कैसे आए। एक छोटा सा रास्ता मिला। यही पूर्ण है यह जरूरी नहीं है। सांसदों से सलाह भी ले गई। हमने हजार और दो हजार के नोट खत्म कर दिए। चुनाव में यही बड़ी बड़ी मात्रा में चलते थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 20 हजार रुपये तक कैश लिया जा सकता है। हमने 20 हजार को ढाई हजार कर दिया। पहले क्या होता था कि चेक से पैसा ले सकते थे। लेकिन व्यापारियों को लगता था कि चेक से पैसा नहीं दे सकता क्योंकि लिखना पड़ेगा और फिर सरकार देखेगी। 90 के दशक में चुनाव में बड़ी दिक्कत आई। चेक से वे पैसे दे नहीं सकते थे। अब इलेक्टोरल बॉन्ड ना होते तो किस व्यवस्था में ताकत है कि ढूंढकर निकाल दे कि पैसा कहां से आया। यह तो इसकी ताकत है कि आपको पता चल रहा है कि कहां से पैसा मिला। यह अच्छा हुआ, बुरा हुआ वह विवाद का विषय हो सकता है। मैं नहीं कहता कि निर्णय में कमी नहीं होती। लेकिन हमने कालेधन से निपटने का काम किया। जब लोग इमानदारी से सोचेंगे तो पछताएंगे। एक जोक चल रहा है कि कुल देश में 3 हजार कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड में इन्वेस्ट किया। इनमे से 26 पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई हुई। लोग जोड़ रहे हैं कि अगर बॉन्ड खरीदा तो उसमें से 37 प्रतिशत भाजपा को चंदा मिला। 63 पर्सेंट बीजेपी के विरोधी दलो को मिला। क्या ईडी की रेड के बाद कोई विपक्ष को चंदा देगा। क्या भाजपा ऐसा कर सकती है। पैसा विपक्ष के जा रहा है और आरोप हमपर लगाना है। गोल-गोल बोलना है और भाग जाना है।

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