Punjab : पंजाबी संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है : कुलतार सिंह संधवां

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Punjab : पंजाब विधान सभा के अध्यक्ष श्री कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि पंजाबी संस्कृति खुले दिल की पहचान है और यह किसी भी प्रकार के विभाजन का नाम नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि हम पंजाबी संस्कृति की इस व्यापक अवधारणा को इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में उकेरें।
पंजाबी विश्वविद्यालय में आयोजित 36वें अंतर्राष्ट्रीय पंजाबी विकास सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में श्री संधवां ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि पंजाबी सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन और उत्कृष्ट संस्कृतियों में से एक है। ‘पंजाबी समाज की ऐतिहासिक परंपरा: समकालीन प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के संदर्भ में उन्होंने पंजाबी संस्कृति की अवधारणा के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
विभाजित करने के प्रयास हुए
उन्होंने कहा कि भले ही बीते समय में पंजाबी संस्कृति को विभाजित करने के प्रयास हुए और पंजाब के कई हिस्से किए गए, लेकिन इसके बावजूद पंजाबी समाज की गहरी एकजुटता बनी रही। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाबी संस्कृति आज भी अपना एक विशिष्ट और अनोखा स्थान बनाए हुए है।
पाकिस्तानी पंजाब के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाबी संस्कृति एक ऐसी सभ्यता है जो सभी प्रकार की बाधाओं से ऊपर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें इस अवधारणा को जीवंत और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
विकास के उद्देश्य से स्थापित
पंजाबी भाषा विकास विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में अपने स्वागत भाषण के दौरान डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. नरिंदर कौर मुल्तानी ने कहा कि पंजाबी भाषा के विकास के उद्देश्य से स्थापित पंजाबी विश्वविद्यालय का यह विभाग इस उद्देश्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रो. राजेश गिल ने अपने मुख्य भाषण में पंजाबी समाज की पहचान और उसमें हो रहे समकालीन परिवर्तनों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पंजाबी समाज ने हमेशा सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी कुरीतियों को अस्वीकार किया है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज हमारे समाज में कई कुरीतियां प्रवेश कर चुकी हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
पंजाब के उज्ज्वल भविष्य की राह
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का संचालन विभाग की प्रमुख डॉ. परमिंदरजीत कौर ने किया। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पंजाबी परंपरा के माध्यम से वर्तमान समस्याओं का समाधान ढूंढना है ताकि पंजाब के उज्ज्वल भविष्य की राह बनाई जा सके।
डीन भाषा संकाय डॉ. बलविंदर कौर सिद्धू ने सम्मेलन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित साहित्य अकादमी, दिल्ली के पंजाबी सलाहकार बोर्ड के संयोजक डॉ. रवेल सिंह ने पंजाबी के विभिन्न विकास प्रोजेक्ट्स का उल्लेख करते हुए विभाग की सराहना की।
सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन
तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में 6 शैक्षणिक सत्र, 6 समान-अंतर शैक्षणिक सत्र, 3 विशेष सत्र और एक विशेष सत्र ‘पुंगर्दियां कलमां’ का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन के दौरान दो सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन होगा, जिसमें ‘एवम इंद्रजीत’ और ‘बोल मिट्टी दियां बावियां’ नाटकों का मंचन किया जाएगा।
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