नवजोत सिंह सिद्धू ने सरेंडर से राहत की अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन को तत्काल सुनने से इनकार कर दिया है। सिद्धू को अब कोर्ट में सरेंडर करना होगा, नहीं तो सिद्धू का जेल जाना तय है।
क्यूरेटिव पिटीशन क्या होता है?
क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी सजायाफ्ता को राहत का अंतिम जरिया होता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 का उपयोग करता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता आजम खान को अंतरिम जमानत देने में और राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी को रिहा करने में इस आर्टिकल का इस्तेमाल किया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट किसी भी विचाराधीन मामले में अपनी शक्ति का उपयोग कर फैसला करता है।
बताया जाता है कि सुपीम कोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू के वकीलों ने याचिका दायर की और सरेंडर करने के लिए कुछ हफ्ते का समय मांगा। इसके लिए सिद्धू के खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया गया है। बताया जाता है कि सिद्धू की इस याचिका का पंजाब सरकार ने विरोध किया है। सिद्धू के वकीलों द्वारा दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि उनको कुछ सप्ताह का समय दिया जाए। वह इसके बाद अदालत में आत्मसमर्पण कर देंगे।
सिद्धू के खिलाफ रोड रेज की घटना में मारे गए 65 वर्षीय गुरनाम सिंह के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया गया है। शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 के तहत पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कोअधिकतम सजा सुनाई। आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत अधिकतम सजा एक साल की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना है।
सिद्धू की अर्जी पर अगर आज सुनवाई नहीं हुई, तो उन्हें 10 जुलाई तक राहत नहीं मिलेगी। क्योंकि कोर्ट में 23 मई से 10 जुलाई तक गर्मी की छुट्टी है। इस दौरान सिर्फ अर्जैंट मैटर पर सुनवाई होती है।
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