अगर श्रीलंका के रास्ते पर चले तो बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान, पूर्व वित्त मंत्री ने दी चेतावनी
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने किसी भी तरह के लोन रीस्ट्रक्चर के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका दावा है कि इस तरह के किसी प्रयास का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर पड़ेगा, जो पहले से ही इतिहास में अपने सबसे खराब संकट से जूझ रही है। इस्माइल ने कराची में एक इंटरव्यू के दौरान बिजनेस रिकॉर्डर से कहा कि इसके ‘नुकसान फायदे से कहीं ज्यादा हैं’। पिछले साल सितंबर में मिफ्ताह इस्माइल को वित्त मंत्री के पद से हटा दिया गया था। फिलहाल पकिस्तान की आर्थिक कमान इशाक डार के हाथों में है जो हर मोर्चे पर विफल साबित होते दिख रहे हैं।
मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि ‘इस रास्ते को अपनाने वाले देशों, जैसे- श्रीलंका, को इसे पूरा करने में कुछ समय लगा है। पहले साल के दौरान, श्रीलंका का सकल घरेलू उत्पाद 10 फीसदी कम हो गया। अगर हम ऐसा करते हैं और इसमें 2-3 साल लगते हैं तो हमारी जीडीपी सिकुड़ जाएगी।’ उन्होंने कहा कि डॉलर-मूल्य वाले लोन पर पाकिस्तान का ब्याज भुगतान कम है और उनके लेनदारों की प्रकृति के कारण ज्यादा लोन का रीस्ट्रक्चर नहीं किया जा सकता है।
जोर पकड़ रही लोन रीस्ट्रक्चरिंग की मांग
इस्माइल ने कहा कि कमर्शियल लोन, जो बहुत ज्यादा नहीं है, इकलौता है जिसे रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है। लेकिन इससे आप कितना फायदा ले सकते हैं? इस्माइल का बयान ऐसे समय में आया है जब लोन रीस्ट्रक्चरिंग की बात जोर पकड़ रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक के गवर्नर जमील अहमद ने पिछले हफ्ते कहा था कि पाकिस्तान को जून तक करीब 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने की जरूरत है जबकि 4 अरब डॉलर के रोल ओवर होने की उम्मीद है।
इस्माइल दे रहे भारत-बांग्लादेश की मिसाल
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के साथ अपने बेलआउट प्रोग्राम को पुनर्जीवित करने में हो रही लगातार देरी से पाकिस्तान की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। यह पिछले साल नवंबर से रुकी हुई है। इससे पहले इस्माइल ने कहा था कि पाकिस्तान को भारत से सीखने की जरूरत है। उन्होंने शिक्षा और आईटी सेक्टर पर जोर देने की बात कही थी। इस्माइल ने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी लड़कियों को पढ़ाया-लिखाया और आज वे देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री चला रही हैं। ‘अगर भारत और बांग्लादेश ये सब कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं?’
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