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UAPA केस में Umar Khalid की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawahar Lal Nehru) के छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका (Bail Petition) पर सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टाल दी.

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उमर खालिद की ये जमानत याचिका उनके खिलाफ यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटिज़ प्रिवेंशन एक्ट) कानून के दर्ज मामले को लेकर दायर की गई थी. इस केस में उमर खालिद पर ये आरोप है कि वे फरवरी, 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की साजिश में कथित तौर पर शामिल थे.

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने उमर खालिद की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal ) और एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (Ad. Solicitor General SV Raju) की गैरहाजिरी के कारण जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है.

दोनों सीनियर एडवोकेट्स नहीं हैं उपलब्ध, अब 10 तारीख को होगी सुनवाई

बेंच ने कहा, “याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार की तरफ़ से संयुक्त रूप से ये आग्रह किया गया है कि केस में पैरवी करने जा रहे दोनों सीनियर एडवोकेट्स उपलब्ध नहीं हैं. केस की सुनवाई अब 10 जनवरी को होगी.”

उमर खालिद की याचिका के साथ यूएपीए कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाएं भी सुनवाई के लिए आज लिस्टेड थीं. इससे पहले 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के जज प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishara) ने उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

पहली नजर में सही नहीं थे आरोप

दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर, 2022 को उमर खालिद की जमानत याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी थी कि वे केस के अन्य सहअभियुक्तों के साथ नियमित रूप से संपर्क में थे और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पहली नज़र में सही हैं.

खालिद के गतिविधियां प्रथम दृष्टि से टेररिस्ट एक्ट के दायरे में आती है- हाई कोर्ट

उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ दायर की है. हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि उमर खालिद की गतिविधियां प्रथम दृष्टि में यूएपीए कानून के तहत ‘टेररिस्ट एक्ट’ (Terrorist Act) के दायरे में आती हैं.

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