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Supreme Court में CAA पर आज होगी सुनवाई, विरोध में दायर हुई 200 से अधिक याचिकाएं

Supreme Court में CAA पर आज होगी सुनवाई, विरोध में दायर हुई 200 से अधिक याचिकाएं

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 19 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. नागरिकता संशोधन कानून खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थी.

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आईयूएमएल ने दायर की याचिका

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल आईयूएमएल ने नियमों के लागू होने पर रोक लगाने की मांग की. जिसको लेकर आईयूएमएल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. आईयूएमएल ने मांग की कि इस कानून पर रोक लगान की आवश्यकता है और इसके माध्यम से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए. वहीं सीएए के खिलाफ आईयूएमएल के अलावा असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका और असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की है.

याचिका में कही गई ये बात

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद आईयूएमएल ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आईयूएमएल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सीएए कानून स्पष्ट रूप से मनमाने हैं और केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत अनुमति योग्य नहीं है. साथ ही यह भी कहा गया कि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की जड़ पर हमला कर रहा है, जो संविधान की मूल संरचना है.  

SC ने जताई सुनवाई पर सहमति

केंद्र सरकार द्वारा सीएए लागू करने के बाद आईयूएमएल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिक पर सुनवाई करने के मंजूरी दी थी. और मामले के सम्बन्ध में 19 मार्च को सुनवाई की तारीख तय की थी.

Supreme Court: क्या है CAA कानून?

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और इसके अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ. इस कानून के तहत उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का काम करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागे और उन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में शरण ली थी.

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