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मानवाधिकारों के साथ कोई भी देश ऐसे नहीं फल-फूल रहा, जैसे हमारा भारत : जगदीप धनखड़

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New Delhi : जगदीप धनखड़ “भारत मंडपम” में मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस अवसर पर मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई और 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। धनखड़ ने मुफ्तखोरी की राजनीति पर कहा कि जेबों को नहीं, बल्कि इंसानी दिमाग को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। 

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धनखड़ ने क्या कहा?

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प भी मंच पर मौजूद थे। शार्प ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतानियो गुतारेस का एक मैसेज पढ़ा। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि धनखड़ ने कहा कि यह संयोग है कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई और 75वीं वर्षगांठ हमारे अमृत काल का अनुसरण करता है। हमारा अमृत काल मानवाधिकारों और मूल्यों के कारण गौरव काल बन गया है। धनखड़ ने कहा कि हमें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से एक मैसेज मिला। मानव अधिकारों को बढ़ावा देने पर मानवता के छठे हिस्से वाले भारत में हो रहे व्यापक, क्रांतिकारी, सकारात्मक परिवर्तनों पर ध्यान देना उचित और सार्थक है। 

हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है

धनखड़ ने आगे कहा कि दुनिया का कोई भी हिस्सा मानवाधिकारों से इतना फल-फूल नहीं रहा है, जितना भारत समृद्ध हो रहा है और ऐसा हो भी क्यों न? संवैधानिक ढांचा मानवाधिकारों का सम्मान, सुरक्षा और पोषण करने के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह हमारे डीएनए में है।

75वीं वर्षगांठ मनाई गई

जगदीप धनखड़ “भारत मंडपम” में मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस मौके पर मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई और 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी देश मानवाधिकारों को लेकर समृद्ध नहीं है, जितना अपना देश है।

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