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Delhi: G-20 समिट में बोले पीएम मोदी- ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए अमीर देश जिम्मेदार, खामियाजा गरीब देश भुगत रहे

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Delhi: G20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक दिल्ली में खत्म हो गई। इसमें US, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस समेत दुनिया की 20 बड़ी इकोनॉमीज के प्रतिनिधि शामिल हुए। मीटिंग के इनॉगरल सेशन में PM मोदी ने कहा- कई साल प्रगति करने के बाद अब हमारे सामने कई चैलेंज हैं। कई विकासशील देश इस समय फूड और एनर्जी सिक्योरिटी के लिए ऐसे कर्ज तले दबे हैं, जिन्हें वे संभाल नहीं पा रहे। अमीर देशों ने जो ग्लोबल वॉर्मिंग की है, उससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब देश ही हैं।

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मीटिंग के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि ये ग्लोबलाइजेशन का वक्त है और इससे कोई देश अलग नहीं रह सकता। हर चुनौती का मिलकर सामना करना होगा। यही बात हमारे प्रधानमंत्री ने भी कही है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के 2 अहम बयान

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं मानता हूं कि चीन के साथ रिश्तों में दिक्कत है। उनके फॉरेन मिनिस्टर से सभी मुद्दों पर बातचीत हुई है। इसमें सीमा विवाद भी शामिल है। G20 के फॉरेन मिनिस्टर्स ने पहली बार काउंटर नार्कोटिक्स पर मिलकर काम करने का वादा किया है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन से जारी जंग की वजह से रूस नहीं बल्कि वेस्टर्न वर्ल्ड अलग-थलग पड़ा है। भारत और रूस के रिश्ते बहुत खास हैं। रूस-यूक्रेन जंग पर भारत के रुख की हम तारीफ करते हैं। कुछ देशों पर अमेरिका प्रेशर डाल रहा है कि वो रूस के खिलाफ UN में वोटिंग करें। ये देश दबाव में नहीं आए, क्योंकि वो पश्चिमी देशों का खेल समझते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत जिम्मेदार रवैया अपनाया है। हमने यूएन चार्टर के मुताबिक ही काम किया है। UN सिक्योरिटी काउंसिल में जल्द से जल्द सुधार होने चाहिए।

रूस-अमेरिका की बात नहीं हुई

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा था कि रूस के फॉरेन मिनिस्टर से मुलाकात का कोई प्लान नहीं है। गुरुवार को जी-20 मीटिंग खत्म होने के बाद रूस की प्रवक्ता मारिया जारखोवा ने अलग ही दावा किया। कहा- ब्लिंकन ने हमारे विदेश मंत्री लावरोव से संपर्क किया था, लेकिन दोनों नेताओं के बीच कोई बातचीत या बड़ी मीटिंग नहीं हुई।

ग्लोबल गवर्नेंस फेल हुई-PM मोदी

हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया में गहरे विभाजन हो चुके हैं। पिछले कुछ साल में हमने आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध देखे हैं। इससे साफ हो गया है कि ग्लोबल गवर्नेंस फेल हो चुकी है। दुनिया के अहम मुद्दों को संभालने के लिए बनी संस्थाएं सबसे बड़ी चुनौतियों को पूरा करने में फेल हुई हैं।

एकमत न हों, तो भी मिलकर काम करें- जयशंकर

इनॉगरल सेशन में जयशंकर ने कहा- G20 देशों पर असाधारण जिम्मेदारी है। हम पहली बार वैश्विक संकट के बीच एक साथ आए थे और आज एक बार फिर कई संकटों का सामना कर रहे हैं, जैसे- कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन जंग, क्लाइमेट चेंज। जरूरी नहीं की इन मुद्दों पर हम एकमत हों लेकिन हमें साथ मिलकर हल निकालना होगा।

रूस-यूक्रेन पर चर्चा

करीब पांच महीने बाद रूस और अमेरिका के अलावा चीन के फॉरेन मिनिस्टर्स एक ही प्लेटफॉर्म पर मौजूद थे। मीटिंग से एक दिन पहले यानी बुधवार को भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने उसी बात को दोहराया जो कुछ महीने पहले ग्लोबल हेडलाइन बनी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने तब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से कहा था- यह वक्त जंग का नहीं, बातचीत का है। अब तक कम से कम तीन मौके ऐसे आए, जब अमेरिका ने ओपन फोरम से कहा कि भारत को जंग रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए।

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