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क्रोनिक किडनी डिजीजः शरीर के फिल्टर का रखें ख्याल

क्रोनिक किडनी डिजीज

क्रोनिक किडनी डिजीज

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Chronic kidney Disease: किडनी को हम शरीर का फिल्टर कह सकते हैं। यह एक ऐसा अंग है जो शऱीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को साफ करके उसके अपशिष्ट को पेशाब के जरिए हमारे शरीर से बाहर निकाल देता है। सोचिए अगर यह विषाक्त पदार्थ फिल्टर न हों तो…। फिर इन्हीं पदार्थों से हानिकारक अपशिष्टों का निर्माण होगा और एक समय ऐसा आएगा जब हमारे शरीर का ये फिल्टर फेल हो जाएगा। इसी बीमारी को विज्ञान की भाषा में क्रोनिक किडनी डिसीज कहा गया है। इन पूरी प्रक्रिया में सबसे चिंताजनक बात यह है इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों की पहचान बहुत मुश्किल है।

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 Chronic kidney Disease: आखिर क्या है ये बीमारी

दरअसल ऐसी किडनी डिसीज जो एक लंबे समय तक बनी रहे तो वह क्रोनिक हो जाती है। इसके कराण मरीज के रक्त का फिल्टर होना, विशाष पदार्थों का अपशिष्ट में बदलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकलना बंद हो जाता है। इससे पूरी शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। एक समय बाद मरीज को रक्त फिल्टर करने के लिए डायलासिस का सहारा लेना पड़ता है।

 Chronic kidney Disease: इन लक्षणों से करें पहचान

वैसे तो आमतौर पर किडनी में आई इस खराबी के शुरुआती लक्षण पहचानना बहुत मुश्किल होता है, फिर भी कुछ लक्षणों से इस बीमारी की पहचान की जा सकती है। जैसे-

उल्टी आना

जी मिचलाना

भूख में कमी

कमजोरी

पेशाब की कम मात्रा

 Chronic kidney Disease: इस बीमारी के कितने चरण

क्रोनिक किडनी डिसीज के मुख्यत पांच चरण होते हैं

1.   पहले चरण में पेशाब के परीक्षण में प्रोटीन स्टेज 1 का लक्षण हो सकता है। इस चरण में किडनी को हल्का नुकसान होता है लेकिन इसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इसको बढ़ने से रोका जा सकता है।

2.हाथ पैरों में सूजन, हाई वीपी, पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन जैसे लक्षण इसके दूसरे चरण को बताते हैं।

3. तीसरे चरण में यह बीमारी गंभीर हो जाती है। इसमें किडनी का फिल्टरेशन रेट  घटकर 30 से 59 के बीच आ जाता है। जबकि सामान्य फिल्टरेशन रेट 90 से ऊपर रहना चाहिए। इसमें दूसरे चरण के लक्षणों के साथ-साथ हड्डियों की बीमारी भी शुरू हो जाती है।

4. चौथे चरण किडनी के पूरी तरह फेल होने से पहले का चरण होता है। इसमें फिल्टरेशन रेट घटकर 15 से 29 के बीच आ जाता है। इसमें आमतौर पर पीठ के निचले में दर्द महसूस होने लगता है।  

5. पांचवां चरण किडनी को हुई गंभीर छति के बारे इशारा करता है। इसमें फिल्टरेशन रेट महज 5 से 15 के बीच रह जाता है। इस चरण का मतलब है कि किडनी पूरी तर डेमेज हो चुकी है। किडनी रोग के पांचवें चरण में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है लेकिन इसका निर्णय डाक्टर ही लेंगे।

कैसे पहचानें किडनी की सेहत

अपकी किडनी कितनी स्वस्थ है, ये बात आप इन वैज्ञानिक परीक्षणों के जरिए जान सकते हैं।

ब्लड टेस्ट

यूरिन टेस्ट

अल्ट्रासाउंड

एमआरआई

क्या करें कि स्वस्थ रहे किडनी

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हमें

शराब और धूम्रपान छोड़ना होगा

शरीर को वजन बढ़ने से रोकना होगा

एक्टिव लाइफस्टाइल अपनानी होगी

पैन किलर का अधिक मात्रा में प्रयोग भी इसका एक कारण हो सकता है

वहीं पहले से चल रहे अन्य किसी चिकित्सकीय इलाज को भी प्रबंधित करना होगा

कौन से व्यायाम से किडनी को मिलेगा आराम

धनुरासन

नियमित वॉक

स्विमिंग

फ्री स्टाइल डांस

योग

ध्यान

प्राणायाम

भी किडनी को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

जानें डाइट

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस की मात्रा पर नियंत्रण जरूरी है। इसमें

फल

सब्जियां

कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स फायदेमंद हैं

वहीं कम मात्रा में

अनाज

लीन मछली

नट्स का कम मात्रा में सेवन किया जा सकता है।

डिस्क्लेमरः यह एक सामान्य जानकारी है। किडनी संबधी किसी भी परेशानी में डॉक्टरी सलाह आवाश्यक है। हम किसी भी तरह की दवा या इलाज का दावा नहीं करते।

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