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NDA Exam: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब महिलाएं भी दे सकेंगी NDA की परीक्षा, 8 सितंबर को है एग्जाम

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नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया है। जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानि की (NDA) की प्रवेश परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दे दी है।

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बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कुश कालरा की ओर से दायर रिट याचिका में अंतरिम आदेश को पारित किया। इसमें महिला उम्मीदवारों को एनडीए की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि महिलाओं को परीक्षा में ना बैठने देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 19 का उल्लंघन करना है।

इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि अधिकारी बारहवीं परीक्षा पास अविवाहित पुरुष कैंडिडेट को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एवं नौसेना अकादमी की परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हैं वहीं योग्य एवं इच्छुक महिला कैंडिडेट्स को परीक्षा देने की अनुमति सिर्फ लिंग के आधार पर नहीं दी जाती है। साथ ही इसमें संविधान के तहत कोई उचित कारण भी नहीं दिए जाते हैं।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, लिंग के आधार पर महिला अभ्‍यर्थियों को NDA में एंट्री के मौके से वंचित रखा जा रहा है।

लिंग के आधार पर परीक्षा देने से किया जाता है वंचित- याचिका

याचिकाकर्ता का पक्ष कोर्ट में सीनियर एडवोकेट चिन्मय प्रदीप शर्मा ने अधिवक्ता मोहित पॉल, सुनैना और इरफान हसीब के साथ रखा। इस याचिका में कहा गया है कि योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एंट्री के मौके से वंचित किया जा रहा है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि- 10+2 स्तर की शिक्षा हासिल करने वाली महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी के परीक्षा देने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है। इसकी वजह से महिला उम्मीदवारों का इसमें एंट्री पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं, समान शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुष उम्मीदवारों को परीक्षा देने का अवसर दिया जाता है। परीक्षा में योग्य पाए जाने के बाद उन्हें NDA में शामिल किया जाता है।

साथ ही याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में ट्रेनिंग ना करना और देश के सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन अधिकारियों के रुप में सिर्फ लिंग के बेसिस पर नियुक्ति देने से मना करना मौलिक अधिकार का हनन है और यह भारतीय संविधान के दायरे में न्यायोचित नहीं है।

 सैनिक स्‍कूलों में होगी गर्ल्‍स की एंट्री

पीएम मोदी ने स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर एक अहम घोषणा की थी। वह ये कि अब देश के सभी सैनिक स्‍कूलों में लड़कियां एडमिशन ले सकेंगी। NDA में हर साल पहुंचने वाले लड़कों में अधिकतर सैनिक स्‍कूल के छात्र ही होते हैं। ऐसे में अगर NDA में लड़कियों की एंट्री का रास्‍ता साफ होता है तो सैनिक स्‍कूल से और कैडे्टस NDA में नजर आएंगे।

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