
क्रिकेट जगत के कई ऐसे बड़े नाम हैं जो संघर्षों से गुज़रते हुए शिखर तक पहुंचे हैं और भारतीय टीम में जगह बनाई। इस सूची में अब एक और नाम जुड़ गया है, जो है केरल के आदिवासी समुदाय से आने वाली साधारण सी एक लड़की मिन्नू मणि का। मिन्नू भारतीय महिला क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय टीम में सेलेक्ट होने वालीं केरल की पहली महिला क्रिकेटर हैं। साथ ही वह वीमेन प्रीमियर लीग में दिल्ली की टीम में खेलने का मौका भी मिला है।
लेकिन क्या आप इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि एक पिछड़े क्षेत्र से आने वाली आदिवासी समुदाय की लड़की का यहाँ तक पहुंचने का सफ़र कितना मुश्किलों भरा रहा होगा.. वायनाड की मिन्नू मणि के पिता एक दिहाड़ी मज़दूर और माँ एक ग्रहणी हैं। मिन्नू कुरचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। उनके घर की आर्थिक स्थिति भी अत्यंत ख़राब थी, जिसके कारण उनके माता-पिता उनके खेल को आगे बढ़ा पाने में असमर्थ थे।
लेकिन बेटी ने तो बचपन में ही क्रिकेटर बनने का सपना देख लिया था; इसलिए वह माता-पिता से छुपाकर क्रिकेट खेलने जाया करती थीं। वह क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए 42 किलोमीटर दूर चार बस बदलकर जातीं। जब वह केवल 10 साल की थीं तभी से वह खेतों में लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं। इसके बाद जब उन्होंने गवर्नमेंट हाई स्कूल, इडापड्डी में एडमिशन लिया तब उन्होंने क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला कर लिया और खेल पर पूरा ध्यान लगाया।
इसी दौरन उनके फिजिकल एजुकेशन के शिक्षक एलसम्मा बेबी उनके टैलेंट को पहचान उन्हें वायनाड जिला अंडर-13 टीम के ट्रॉयल में ले गए और मिन्नू का इसमें आसानी से चयन हो गया। इसके बाद उनके माता-पिता भी हिम्मत बटोर उन्हें दिल से सपोर्ट करने लगे। जब मिन्नू मणि 15 वर्ष की थीं, तब उन्होंने केरल अंडर-16 टीम में अपनी जगह बनाई और एक साल के अंदर वह राज्य की सीनियर टीम में शामिल हो गईं।
इसके बाद वीमेन प्रीमियर लीग में उन्हें 30 लाख रुपये में दिल्ली की टीम में शामिल किया गया।और हाल ही में बांग्लादेश दौरे पर टी20 सीरीज़ के पहले मुकाबले से उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया और शानदार प्रदर्शन भी मिन्नू ने अपनी मेहनत और लगन से साबित किया है कि अगर आप पूरी ईमानदारी से अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करें; तो आपको लक्ष्य तक पहुंचने से कोई कठिनाइयां रोक नहीं सकतीं।