
Ladakh News: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लोगों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 95% आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है। यह निर्णय लद्दाख के दो प्रमुख संगठनों—लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए)—की मांगों के मद्देनजर लिया गया, जो लंबे समय से राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और क्षेत्र के लिए एक विशेष लोक सेवा आयोग की स्थापना की मांग कर रहे हैं।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और इन संगठनों के बीच हुई बैठक में इस पर सहमति बनी कि राजपत्रित अधिकारियों के 95% पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होंगे। इस कदम का लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा ने स्वागत करते हुए इसे क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताई। अगली बैठक 15 जनवरी को प्रस्तावित है, जिसमें अन्य लंबित मांगों पर चर्चा की जाएगी।
सांस्कृतिक और भाषाई संरक्षण
गृह मंत्रालय ने लद्दाख के सांस्कृतिक और भाषाई संरक्षण के उपायों पर चर्चा के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है। यह निर्णय क्षेत्र की अनूठी पहचान और सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। इसके बाद से क्षेत्र के संगठन राज्य का दर्जा और लोकसभा में दो सीटों की मांग कर रहे हैं। साथ ही, स्थानीय संगठनों ने केंद्र के आश्वासनों के बावजूद विभिन्न मंचों पर विरोध प्रदर्शन भी किए।
हालांकि, लद्दाख के लिए केंद्र सरकार द्वारा विकास और स्थानीय अधिकारों को प्राथमिकता देने का यह प्रयास, क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने की दिशा में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
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