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AT-4 अब भारत के पास होगा, जानिए कितना खतरनाक है AT-4 हथियार?

एटी-4 हथियार
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भारत ने स्वीडन की कंपनी साब ग्रुप के साथ एक समझौता किया है। यह समझौता एंटी टैंक हथियार एटी-4 को लेकर है। हथियार का इस्तेमाल भारत में थलसेना और वायुसेना के एलीट कमांडो द्वारा किया जाएगा। इस संबंध में साब ग्रुप ने बयान जारी कर कहा है कि उसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एटी-4 हथियार का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।

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बता दें कि इस हथियार का इस्तेमाल कोई एक सैनिक भी कर सकता है। साब ने दावा किया है कि उसका एटी-4 हथियार, हेलिकॉप्टर, आर्मर्ड व्हीकल और दुश्मन सैनिकों के खिलाफ अपनी क्षमता को साबित कर चुका है। वर्तमान में इस हथियार के अलग-अलग वेरिएंट को 30 से अधिक देश इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे भारत में वायुसेना के पास कई बेहतरीन फाइटर जेट हैं जो दुश्मनों की नाक में दम कर सकते हैं।

भारत कौन सा मॉडल खरीद रहा है?

भारत एटी-4 सीएएस (AT4CS AST) मॉडल की खरीद कर रहा है। इसमें 84 एमएम कैलिबर की एंटी टैंक मिसाइल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सीएस का मतलब कनफाइंड स्पेस (Confined Space) है। इसका हिंदी में अनुवाद सीमित जगह होता है। वहीं AST का मतलब एंटी स्ट्रक्चर टेंडम वॉरहेड (Anti Structure Tandem Warhead) है।

कितना खतरनाक है एटी-4 हथियार?

एटी-4 का वजन 8kg है। इसके जरिए फायर किए गए गोले की रफ्तार 220 मीटर प्रति सेकेंड है। एटी-4 एंटी टैंक हथियार की रेंज 200 से 500 मीटर है। हालांकि एटी-4 की प्रभावी रेंज 200 से 300 मीटर तक ही है। इसके एक लॉन्चर से बस एक बार ही फायर किया जा सकता है। इसके बाद लॉन्चर बेकार हो जाता है।

एटी-4 भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कार्ल गुस्ताव रायफल से काफी सस्ता है। इसलिए भारत ने इसे अपनी सेना के लिए चुना है। अन्य कार्यप्रणाली गुस्ताव रायफल की तरह ही है। एक बार फायर करने की क्षमता के कारण यह काफी हल्का है, इसलिए एक सैनिक कम से कम तीन यूनिट को लेकर युद्ध के मैदान में जा सकता है।

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