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Kasturba Gandhi : महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए किए प्रयास

Kasturba Gandhi : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण समर्थक और महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी। 1915 में जब गांधी जी ने भारत लौट कर स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की, तो उनका साथ देते हुए कस्तूरबा ने भी सक्रिय रूप से काम करना शुरू किया। उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया, जिनमें चंपारण सत्याग्रह, सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह भी थे।

जीवनी

गुजरात के पोरबंदर में 11 अप्रैल 1869 को कस्तूरबा गांधी का जन्म हुआ था। 13 वर्ष का आयु में कस्तूरबा का विवहा मोहनदास करमचंद गांधी के साथ हुआ था। उन्होंने अपने पति के विचारों का पूर्ण रूप से समर्थन किया और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए प्रेरित भी किया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब कस्तूरबा और गांधी जी को जाल भेजा गया तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया, जिसके बाद 19 फरवरी 1944 को कस्तूरबा गांधी का निधन हो गया।

महिलाओं के अधिकार

उनका मानना था कि महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारने की जरूरत है, जिसके लिए महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और समाज की कुरीतियों को खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

कस्तूरबा का शिक्षा स्तर सीमित था, उस समय शिक्षा और स्वतंत्रता के विषय में महिलाओं पर बहुत कम ध्यान दिया जाता था। भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और सामाजिक जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए उन्हेंने काम और कई प्रयास किए।

कस्तूरबा गांधी ने गांधी जी के साथ कई बार भारत की स्वतंत्रता के लिए जेल की यात्रा भई की। जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण को प्रमाणित किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उनके योगदान को सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।

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