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तालिबान को मान्यता देने पर बोला पाकिस्तान- ऐसे ही नहीं देंगे

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इस्लामाबाद: तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ते कब्जे के बाद दुनियाभर की सरकारें और नेटो ने भी तालिबान को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। इसी कड़ी में पाकिस्तान ने एक बयान में कहा है कि वो अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता देने के बारे में एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं करेगा।

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पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फ़वाद चौधरी ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान इस संदर्भ में कोई भी फ़ैसला क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से सलाह-मशवरा करने के बाद ही करेगा।

फ़वाद चौधरी ने अपने बयान में कहा, “जो भी फ़ैसले होंगे वो एक तरफ़ा नहीं होंगे, द्विपक्षीय भी नहीं होंगे, ये बहुपक्षीय फ़ैसले होंगे। तो हम अकेले कोई फ़ैसला नहीं लेना चाहते, हम इस कड़ी में भी और अपने अंतरराष्ट्रीय साथियों के संपर्क में हैं और हम उसी हिसाब से मामले में फ़ैसला लेंगे।“

उन्होंने ये भी बताया कि पाकिस्तान ने काबुल में तालिबान के पहुंचने के बाद तुर्की और अमेरिका के साथ विस्तार-पूर्वक बातचीच की है।

अफ़ग़ानिस्तान से जुड़े मामले में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप अर्दोआन से बात की तो वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन के साथ चर्चा की थी।

हालांकि फ़वाद चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन से काफी ख़ुश है।

उन्होंने कहा, “हम ख़ुश और संतुष्ट हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में बदलाव बिना किसी ख़ून-ख़राबे के हुआ और ना ही कोई लड़ाई छिड़ी।”

पाकिस्तान ने पहले दी थी मान्यता

तालिबान ने जब आख़िरी बार 90 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था तब केवल तीन देशों ने उसकी सरकार को मान्यता दी थी।

वो देश थे- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान। लेकिन 1996 से साल 2001 के दौर में अफ़ग़ानिस्तान बाक़ी दुनिया से लगभग कटा हुआ था।

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