प्यासा मरेगा पाकिस्तान ! मोदी सरकार ने ‘सिंधु जल समझौते’ को लेकर भेजा नोटिस..की संशोधन की मांग
Indus Water Treaty : साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता एक बार फिर चर्चा में है। पाकिस्तान की तरफ से लगातार समझौते के नियमो के उल्लंघन को लेकर भारत सरकार ने इस संधि में सुधार की मांग की है। मोदी सरकार की इस मांग को ऐतिहासिक गलती को सुधारने की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचायक माना जा रहा है।
पाकिस्तान लगातार कर रहा उल्लंघन
भारत सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि के बावजूद पडोसी देश पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे उल्लंघन को रेखांकित करते हुए इसी साल 30 अगस्त को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है, जिसमें संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की गई है। सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद XII (3) के तहत ये कहा गया है कि इस संधि के प्रावधानों को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच इसके उद्देश्य की पूर्ति के लिए संशोधित किया जा सकता है।
क्या है सिंधु जल समझौता
सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। लगभग 63 साल पहले हुई सिंधु जल संधि (IWT) के तहत भारत को सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों से 19.5 प्रतिशत पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को लगभग 80 प्रतिशत पानी मिलता है। भारत अपने हिस्से में से भी लगभग 90 प्रतिशत पानी ही उपयोग करता है।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को छह नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की वार्षिक बैठक होना अनिवार्य है। सिंधु जल संधि को लेकर पिछली बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी, इस बैठक को दोनों देशों ने सौहार्दपूर्ण बताया था।
पू्र्वी नदियों पर भारत का अधिकार है. जबकि पश्चिमी नदियों को पाकिस्तान के अधिकार में दे दिया गया। इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी।
भारत को आवंटित तीन पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी के कुल 168 मिलियन एकड़-फुट में से लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल भारत के लिए आवंटित किया गया है। भारत अपने हिस्से का लगभग 90 प्रतिशत ही उपयोग करता है, बाकी बचा हुआ पानी पाकिस्तान चला जाता है।
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