भारत का उभरता हुआ वो सितारा जिसने किस्मत को दी मात

Share

भारत की स्टार एथलीट और सबसे तेज़ महिला हर्डलर ज्योति याराजी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। ज्योति ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर हर्डल रेस में गोल्ड मेडल जीता। इसके साथ ज्याेति 100 मीटर बाधा दौड़ में ऐसा करने वाली पहली भारतीय एथलीट भी बन गई हैं। इससे पहले उन्होंने  फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 100 मीटर बाधा दौड़ में गोल्ड जीता है। जिसमें उन्होंने अपना रेकॉर्ड तोड़ते हुए एक नया रिकॉर्ड बनाया था।

28 अगस्त, 1999 को विशाखापट्टनम (विजाग) में जन्मीं इस खिलाड़ी के पिता सूर्यनारायण एक प्राइवेट गार्ड के रूप में काम करते हैं, वहीं माँ, कुमारी लोगों के घरों में और सिटी हॉस्पिटल में सफाई का काम करके गुज़ारा करते हैं। ज्योति का स्कूल के समय से ही पढ़ाई के अलावा खेलों में भी बहुत मन लगता था। यह देखते हुए उनकी स्पोर्ट्स टीचर ने उन्हें हर्डल रेस में आगे बढ़ाया और यहीं से उनके खेल सफ़र की शुरुआत हुई।

साल 2015 में ज्योति याराजी ने आंध्र प्रदेश इंटर-डिस्ट्रिक्ट मीट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पहली बार अपनी पहचान बनाई थी। इसके बाद कोच एन रमेश से ट्रेनिंग लेने के लिए वह हैदराबाद के साई सेंटर चली गईं। 2019 में ज्योति भुवनेश्वर में रिलायंस ओडिशा एथलेटिक्स हाई-परफॉर्मेंस सेंटर में चली गईं, जहां वह ब्रिटिश कोच जेम्स हिलियर से प्रशिक्षण लेने लगीं। जनवरी 2020 में कर्नाटक के मूडबिद्री में ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सटी एथलेटिक्स मीट में भी गोल्ड मेडल जीता और इस रेस को 13.03 सेकेंड के समय में पूरा कर लिया।

10 मई, 2022 को लिमासोल में साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और 13.23 सेकेंड के समय के साथ महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस का नेशनल रिकॉर्ड बना दिया। इसी के साथ उन्होंने इस टूर्नामेंट में गोल्ड भी हासिल किया और देश का मान बढ़ाया। आज, अपनी मेहनत के बलबूते वह इस मुकाम तक पहुंची हैं कि हर प्रतियोगिता में देश और अपने माता-पिता का नाम रौशन कर रहीं हैं।