Holi 2023: होलिका दहन में क्यों जलाए जाते हैं गोबर के उपले, जानें महत्व

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होली हिन्दुओं के लिए सबसे खास पर्व माना जाता है और मुख्य रूप से होलिका दहन के साथ सभी बुराइयों का नाश होता है। आपको बता दें कि होलिका की अग्नि में कुछ ऐसी चीजों को जलाया जाता है जिनका ज्योतिष में भी विशेष महत्व है। ऐसी ही चीजों में से एक है गोबर के उपले।

गोबर के उपले शुभता का प्रतीक माने जाते हैं और इन्हें जलाने से आस-पास की नकारात्मक शक्तियां भी दूर होती हैं। आपने देखा होगा कि यज्ञ और हवन में भी गाय के गोबर का इस्तेमाल होता है और इनका आध्यामिक महत्व बहुत ज्यादा है, लेकिन जब हम होलिका दहन के पर्व की बात करते हैं तब उसमें गोबर के उपले जलाने का भी विशेष ज्योतिष महत्व है।

ऐसा कहा जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इसी वजह से गाय की पूजा से विशेष ज्योतिष लाभ मिलते हैं। वहीं गाय से मिलने वाले गोबर को भी शुध्दता का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। गाय के गोबर से बने उपले का इस्तेमाल करने से घर में समृध्दि बनी रहती है।

जब गाय के गोबर को किसी भी रूप में जलाते हैं तो उससे निकलने वाला धुंआ सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने में मदद करता है। गाय के गोबर को बहुत पवित्र माना जाता है इसी वजह से इसका इस्तेमाल कई धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। होलिका दहन में मुख्य रूप से गोबर से बड़कुल्ले बनाए जाते हैं। इसके लिए गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर उसमें बीच से छेद करते धूप में सुखाया जाता है और इसकी माला को होलिका की अग्नि में जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन्हें जलाने से घर की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। होलिका की अग्नि में भी जब इन्हें जलाते हैं तो रोग-दोष मुक्त होते हैं और आर्थिक स्थिति ठीक हो सकती है।

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