पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद को ‘राजा साहब’ कहने पर जताई आपत्ति
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद को ‘राजा साहब’ कहने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मुझे राजा-राजा कहना बंद कर दो। दिग्विजय कहो या दिग्विजय जी कहो। उन्होंने कहा कि चीन और रूस की तरह भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिक्टेटरशिप चलाना चाहते हैं।
दिग्विजय सिंह रविवार को भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित यूथ कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। यूथ सम्मेलन में मंच संचालक और दूसरे वक्ता दिग्विजय को ‘राजा साहब’ कहकर संबोधित कर रहे थे। जैसे ही, उनके बोलने का नंबर आया। उन्होंने शुरुआत में ही कहा कि लोकतंत्र राजशाही में नहीं होता, लोकतंत्र जनता के राज में होता है, इसलिए जब बार-बार वक्ता मुझे राजा कह रहे थे, इसमें आपत्ति है। मैं राजशाही का प्रतीक नहीं लोकतंत्र का प्रतीक हूं।
बोले- लोकतंत्र के नाम पर चल रही डिक्टेटरशिप
दिग्विजय ने कहा कि अनेकों उदाहरण हैं, जब नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में जाकर पूर्व की सरकारों के खिलाफ भाषण दिया। हमने तो कभी नहीं कहा कि माफी मांगिए, लेकिन अडाणी के प्रकरण की संसद में चर्चा न हो, इसलिए सदन न चलने दो, माफी मांगो। जब वे सदन में अपनी बात कहने पहुंचे, तो माइक ऑफ कर दिया। सदन स्थगित कर दिया गया। इनको न तो लोकतंत्र में भरोसा है और न ही भारतीय संविधान में भरोसा है। ये एक तंत्र के हिमायती हैं। देश में लोकतंत्र के नाम पर डिक्टेटरशिप चलाई जा रही है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी मांग कर रहे हैं कि कॉर्पोरेट घराना गौतम अडाणी को लाभ दिया गया। उनके खिलाफ जांच करके प्रतिवेदन में गड़बडी की बात मिली। एक हफ्ते में 10 लाख करोड़ का घाटा शेयर मनी के वैल्यूएशन में हो जाता है। जिन लोगों ने अडाणी के शेयर खरीदे थे, उनको नुकसान हो जाता है। इसकी जांच होना चाहिए। ये मांग राहुल गांधी ने की, लेकिन उनके भाषण में जहां-जहां अडाणी और मोदी जी का उल्लेख आया, उसे सदन की कार्रवाई से विलोपित कर दिया गया। उसके बाद जब उन्होंने विदेशों में अपनी बात कही, तो भाजपा कह रही है कि आपने विदेशों में जाकर ये बात क्यों कही?