FIR against trainee IAS officer: UPSC ने ट्रेनी IAS पूजा खेडकर पर दर्ज की FIR, झूठी पहचान और अधिक प्रयासों का आरोप

FIR against trainee IAS officer: UPSC ने ट्रेनी IAS पूजा खेडकर पर दर्ज की FIR, झूठी पहचान और अधिक प्रयासों का आरोप
FIR against trainee IAS officer: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 2023 बैच की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि पूजा ने अपनी पहचान बदलकर UPSC परीक्षा में तय सीमा से अधिक बार शामिल हुईं। इसके अलावा, UPSC ने पूजा को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनका चयन रद्द करने पर विचार कर रहा है।
FIR against trainee IAS officer: गहन जांच में खुलासा
UPSC की गहन जांच में पाया गया कि पूजा ने अपना नाम, माता-पिता का नाम, हस्ताक्षर, फोटो, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर बार-बार परीक्षा दी। यह खुलासा तब हुआ जब केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) में पूजा द्वारा दायर दो अलग-अलग आवेदनों में उनकी पहचान और उम्र में विसंगतियां पाई गईं।
अन्य आरोपों के घेरे में
पूजा पर ट्रेनिंग के दौरान पद के दुरुपयोग और कदाचार के भी आरोप हैं। पुणे के जिला कलेक्टर सुहास दिवासे की शिकायत के बाद उनका वाशिम तबादला कर दिया गया था। इसके अलावा, पूजा पर OBC और विकलांगता कोटे का दुरुपयोग करने का भी आरोप है, जिसकी जांच केंद्रीय समिति कर रही है।
विकलांगता प्रमाण पत्र पर विवाद
पूजा ने अलग-अलग विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं। हालांकि, अहमदनगर जिला अस्पताल द्वारा जारी प्रमाण पत्र को लेकर विवाद है। अस्पताल के सिविल सर्जन ने प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि की है, लेकिन अन्य प्रमाण पत्रों में केवल 7% विकलांगता का उल्लेख है, जबकि UPSC के नियमों के अनुसार, विकलांग कोटे के तहत चयन के लिए 40% विकलांगता आवश्यक है।
परिवार भी विवादों में घिरा
खेडकर के पिता दिलीप खेडकर पर जमीन विवाद में किसानों को धमकाने का आरोप है, जबकि उनकी मां मनोरमा खेडकर को इसी मामले में गिरफ्तार किया गया है। दिलीप खेडकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी जांच चल रही है।
पूजा का पक्ष
पूजा ने UPSC को दिए एक हलफनामे में दावा किया है कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। उन्होंने मेडिकल टेस्ट देने से भी मना किया है, जिससे उनके दावों पर और सवाल खड़े हो रहे हैं।
आगे क्या?
पूजा खेडकर के खिलाफ जांच जारी है और उनके भविष्य का फैसला जांच के नतीजों पर निर्भर करेगा। यह मामला UPSC की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए एक चुनौती है और इसके परिणाम देश की सिविल सेवाओं की छवि को प्रभावित कर सकते हैं।
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