कुदरत के रंगों को समेटे है ‘हर्षिल घाटी’ सीएम धामी ने साझा किया सेब बागान का वीडियो
उत्तरकाशी से लगभग 75 किलोमीटर दूर ‘हर्षिल घाटी’ अपने में कुदरती की अथाह खूबसूरती समेटे है. समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई पर बसी हर्षिल घाटी कुदरत की खूबसूरती के साथ ही मीठे सेबों के लिए विख्यात है। यहां के सेबों की मिठास पूरी दुनिया की ज़बान पर हैं. हर्षिल घाटी में लगभग दस हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें अलग-अलग प्रजाति के सेब होते हैं. हर्षिल घाटी में रॉयल डिलीशियस, रेड डिलिशियस और गोल्डन डिलिशियस प्रजाति के सेब होते हैं।
हर्षिल घाटी के सुक्खी, झाला, पुराली, बगोरी, हर्षिल, धराली और मुखबा में सेब की पैदावार की जाती है. सेब के ये बागीचे देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। हर्षिल के सेब बागानों की इस सुंदरता को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर साझा किया है। अपने संदेश में सीएम ने लिखा है कि हर्षिल घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही सेबों की विभिन्न प्रजातियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
सीएम ने आगे लिखा है कि सरकार प्रदेश की जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों का समन्वय कर औद्यानिकी क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सरकार के प्रयास तो अपनी जगह हैं लेकिन सीएम के साझा किए गए वीडियो में दिख रहे लाल सेबों के बागान आंखों के साथ दिलो दिमाग को बेहद सुकून देने वाले हैं। देवभूमि में कुदरत के कई रंग देखने को मिलते हैं और हर्षिल के सुर्ख लाल रंग के सेबों के बागान इन्हीं रंगों में से एक हैं।