
कबड्डी को भारत में फिर से जीवित करने और इस खेल का रोमांच देश के लोगों के दिलों में भरने में प्रो-कबड्डी लीग ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रो-कबड्डी लीग के 9 संस्करणों से देखा जा रहा है कि इसकी लोकप्रियता हर बार बढ़ती ही जा रही है। इस लीग ने कबड्डी के प्रशंसकों की संख्या बढ़ा दी है।
हालांकि, दर्शकों का एक बड़ा वर्ग इसके आधुनिक नियमों से परिचित नहीं है। कबड्डी के रोमांच को देखने के बाद जो नए प्रशंसक इससे जुड़े हैं, वो इसके नए नियमों से अनजान हैं। ऐसे ही कबड्डी के चाहनेवालों को हम उन नियमों से वाकिफ करवा रहे हैं, जो इस लीग में लागू किए जाते हैं।
जानिए प्रो कबड्डी लीग के नियम
पूरी टीम को अगर कोई दूसरी टीम आउट कर देती है तो उसे 2 अतिरिक्त अंक मिलते हैं. इस अंक को ‘लोना’ कहते हैं . जो खिलाड़ी पहले आउट होता वह पहले जीवित होकर भी मैदान पर आता है. किसी भी खिलाड़ी का शरीर का कोई हिस्सा मैदान के बाहर टच नहीं होना चाहिए नहीं तो उसे आउट करार दिया जाता है. डिफेंडर्स के पीछे एक लाइन बनी रहती है जिससे वे बाहर नहीं जा सकते हैं.
रेडिंग के लिए 30 सेकेंड का समय निर्धारित किया गया है और यदि इससे पहले रेडर अपने हाफ में नहीं आता है तो वह आउट हो जाएगा. यदि रेडर्स ने लगातार दो रेड में प्वाइंट हासिल नहीं किया तो उन्हें तीसरा रेड डू ऑर डाई करनी होगी. इस रेड में रेडर को बिना प्वाइंट लिए नहीं लौटना होता है क्योंकि बिना प्वाइंट लौटने पर वे आउट होंगे.
जब मैट पर छह या फिर पूरे सात खिलाड़ी होंगे तो विपक्षी रेडर बोनस प्वाइंट ले सकते हैं. बोनस लेने के लिए एक ही समय पर उनका एक पैर हवा में और दूसरा बोनस लाइन के पार होना चाहिए. यदि पांच या उससे कम डिफेंडर होंगे तो बोनस उपलब्ध नहीं होगा. यदि मैट पर तीन या उससे कम डिफेंडर रहे तो सुपर टैकल ऑन रहेगा. ऐसे में यदि रेडर पकड़ा जाता है तो डिफेंडिंग टीम को टैकल के लिए एक की जगह दो प्वाइंट्स मिलेंगे.