दिल्ली: रोजगार के अवसरों में ट्रांसजेंडर को किया जा रहा है बहिष्कार
Transgender Employment Case: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दायर एक याचिका पर भारत सरकार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। जिसमें चिंता जताई गई है कि राजधानी दिल्ली में विभिन्न शैक्षणिक और सार्वजनिक रोजगार के अवसरों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को व्यापक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। मामले में, न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली सरकार और दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग को 28 मार्च, 2024 तक नोटिस जारी किया।
भेदभाव व्यवहार की ओर किया गया इशारा
बता दें, यह याचिका एक ट्रांसवुमन द्वारा दायर की गई थी। जिसमें सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ होने वाले भेदभावपूर्ण व्यवहार की ओर इशारा किया था। याचिका में विभिन्न रोजगार और अवसरों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए क्षैतिज आरक्षण (जिसमें लिंग के आधार पर आरक्षण शामिल है) और छूट शुरू करने के महत्व को भी अंडरलाइन किया गया है।
आरक्षण दिए जाने का किया गया आग्रह
इसके अलावा, याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश देने का आग्रह किया गया ताकि दिल्ली में सार्वजनिक नियुक्तियों में सभी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण दिया जा सके। इसके अलावा, न्यायालय से केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार को भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भर्ती के लिए एक नीति बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। यह भी प्रार्थना की गई है कि ऐसे पदों पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को योग्यता और आयु-आधारित छूट दी जाए।
विशेष तौर पर ICMR भर्ती का किया गया जिक्र
याचिका में विशेष रूप से आईसीएमआर द्वारा जारी भर्ती नोटिफिकेशन का जिक्र किया गया। जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि केवल महिला या पुरुष उम्मीदवारों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन निकाला गया। जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखा गया था। आगे याचिकाकर्ता ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या है जो आईसीएमआर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली में विभिन्न सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक तक जुड़ा हुआ है।
ये भी पढ़ें- दिल्ली: उच्च न्यायालय पहुंचा “न्यूज़क्लिक” पत्रकारों की गिरफ्तारी का मामला