
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से अभी पूरी दुनिय़ा उबर भी नहीं पाई थी कि Monkeypox नाम का नया वायरस यूरोप के देशों में फैल रहा है। हालांकि राहत की बात अभी ये है कि यह बीमारी भारत में अभी नहीं आई है ना ही इसका कोई मरीज अभी तक भारत में मिला है। बता दें कि इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस वर्ष 1970 में कॉन्गो में मिला था। आम तौर पर यह वायरस एक प्रकार के बंदर को संक्रमित करता है। संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 50 वर्षों में मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के बाहर मंकीपॉक्स के केस नहीं के बराबर ही मिले हैं।
कोरोना के बाद अब Monkeypox का खतरा
यही बड़ी वजह है कि यूरोप में अचानक बड़ी संख्या में Monkeypox के मरीजों के मिलने से चिंता बढ़ गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस संभावित आपदा पर चर्चा के लिए मीटिंग बुलाई है। साथ ही भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्रर (NCDC) और भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को अलर्ट कर दिया है और कहा है कि दोनों संस्थान इस नए वायरल इन्फेक्शन पर कड़ी नजर रखे।
जानें कैसे फैलता है ये वायरस
आपको बता दें कि अगर यूरोप में Monkeypox वायरस का ऐसे ही इजाफा होता रहा तो सरकार प्रभावित देशों से आने वाले लोगों की औचक जांच भी कर सकती है। वहीं मंकीपॉक्स के संक्रमण को लेकर कई डॉक्टर्स का कहना है कि अभी घबराने की जरूरत नहीं है। मंकीपॉक्स के संक्रमण का दायरा बेहद सीमित है। चेचक का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कारगर है, इस कारण भारत की एक बड़ी आबादी मंकीपॉक्स से पहले से ही सुरक्षित है।
मंकीपॉक्स संक्रमण के 5 बड़े लक्षण
मंकीपॉक्स वायरस को लेकर कई लक्षण बताए गए है। लेकिन आमतौर पर पहले लक्षणों के सामने आने में 5 से 21 दिनों के बीच का समय लगता है। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकावट शामिल हैं। इन लक्षणों का अनुभव करने के एक से पाँच दिन बाद आमतौर पर चेहरे पर दाने दिखाई देते हैं। दाने कभी-कभी चिकनपॉक्स के साथ भ्रमित होते हैं, क्योंकि यह उभरे हुए धब्बों के रूप में शुरू होता है जो तरल पदार्थ से भरे छोटे पपड़ी में बदल जाते हैं।