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चीन में नाम बदलकर 152 शहरों में लगाया गया लॉकडाउन, 28 करोड़ जनता घरों में कैद !

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लॉकडाउन शब्द भले ही हमारी जुबान से गायब हो गया हो, लेकिन चीन में यह आज भी कायम है। चीन के 1 या 10 नहीं बल्कि 152 शहर अभी भी लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं। चीनी सरकार जनता के गुस्से भड़काने से रोकने के लिए लॉकडाउन को तरह-तरह के शब्द दे रही है।

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इनमें से ज्यादातर शहरों में रात के समय लॉकडाउन है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में अपने भाषण के दौरान, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शून्य कोविड नीति की सख्ती का संदेश भी दिया। इस बात का डर सता रहा है कि चीनी नागरिकों को इस क्रूर तानाशाही से फिलहाल आजादी नहीं मिल रही है।

इस साल शीआन और फिर शंघाई में लॉकडाउन ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। इन दोनों शहरों में लोगों को दो महीने से ज्यादा समय तक घर के अंदर ही रखा गया था। जरूरी काम से भी बाहर जाने पर पाबंदी थी।

लॉकडाउन की वजह से चीन को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी है। लोगों के पास खाने-पीने की भारी किल्लत है। लोगों को अस्पताल जाने के लिए भी बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। हाउस अरेस्ट के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसके बावजूद शी जिनपिंग जीरो कोविड नीति में ढील देने को तैयार नहीं हैं।

इसके चलते चीन में भी शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। हाल ही में शी जिनपिंग के खिलाफ बैनर फहराए गए थे और बीजिंग में एक ओवरब्रिज पर टायर जलाए गए थे। हालांकि जानकारों का मानना ​​है कि शी जिनपिंग जीरो कोविड पॉलिसी के जरिए चीन पर अपनी पकड़ का प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के 152 शहरों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन है। इस लॉकडाउन के तहत चीन की आबादी 28 करोड़ है। इनमें से 114 शहरों में अगस्त में ही लॉकडाउन कर दिया गया था। बीजिंग चीन का इकलौता बड़ा शहर है जहां लॉकडाउन नहीं लगाया गया है। हालांकि कुछ दिन पहले जब कोरोना के मामले सामने आए तो कई शॉपिंग मॉल और सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। इतना ही नहीं भीड़-भाड़ वाली जगहों पर आज भी लोगों का कोविड टेस्ट किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन कोविड लॉकडाउन के खिलाफ लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए अलग-अलग नाम दे रहा है। कई शहरों में ठहराव प्रबंधन, घर में स्थिरीकरण, पूरे क्षेत्र की शांति या सभी आवश्यक आंदोलन को रोकने जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा अस्थायी सामाजिक नियंत्रण को लॉकडाउन न बताकर लोगों की आवाजाही को रोका जा रहा है। हॉटस्पॉट को एनक्लोजर मैनेजमेंट कहा जा रहा है। ऐसे क्षेत्रों से लोगों की निकासी प्रतिबंधित की जा रही है। इन इलाकों के लोगों को कोविड टेस्ट के बाद ही बाहर निकलने दिया जा रहा है।

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