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BMC चुनाव में क्या शिंदे ढहा पाएंगे शिवसैनिकों का राजनीतिक किला?

Mumbai: महाराष्ट्र में चल रहे कुर्सी की जंग अब समाप्त हो चुकी है। लेकिन इसी के साथ अब महाराष्ट्र की सियासत में एक नया रंग फिर से घुलता दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि मुंबई में BMC  चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज होती जा रही है। हालांकि अबतक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। BMC चुनाव इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि हाल ही में महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो गया है। महाराष्ट्र में अब उद्धव की कुर्सी एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर संभाल ली है।

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कैसी रही BMC  चुनाव में शिवसेना की चाल ढाल?

BMC के चुनाव में 1971 से लेकर अबतक शिवसेना ने 21 मेयर दिए हैं। शिवसेना का उसी वक्त से BMC  की सीटों पर कब्ज़ा रहा है। लेकिन इस बार समीकरण कुछ अलग हैं। इस वक्त महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बन गई है। हालांकि शिवसैनिकों के रगों से परिचित शिंदे सूबे के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा तो आप अंदाजा लगा ही सकते की कितनी बड़ी सियासी पार्टी है। इस  सियासी संघर्ष का अब क्या स्वरूप होगा ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की हां में हां मिलाने वाले दो-तिहाई से अधिक विधायकों के सामने चुनावी रण में मुंबई नगर निकाय पर अपना कब्जा बनाए रखना उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के लिए एक मुकाम जैसा होगा।

हालांकि मुंबई शिवसेना का जन्मस्थान है और इसी के साथ हर गली और वार्ड में पार्टी का नेटवर्क भी बहुत तगड़ा है। पुराने आंकड़ों की बात करें तो 1996 से अब तक शिवसेना का BMC अजय रही है। आईए ये भी जान लीजिए सियासी आंकड़े शिवसेना ने 1997 (103 सीटें), 2002(97 सीटें), 2007 (84 सीटें), 2012 (75 सीटें) और फिर 2017 (84 सीटें) में लगातार बीएमसी चुनाव जीते हैं। हाल के परिसीमन और आरक्षण की कवायद में, शिवसेना के चुनावी वार्ड 237 से 236 हो गए। इस तरह से देखा जाए तो राजनीति का ऊंठ किस करवट बैठेगा ये तो आने वाला समय बताएगा।

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रिपोर्ट: निशांत

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