नवरात्री 26 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्री के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं। नवरात्री को पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। कई जगहों पर इस दौरान पंडाल बनाए जाते हैं। नवरात्री त्योहार में जौ बोने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। जौ के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि के पहले दिन ही जौ बोए जाते हैं। जौ बोने के पीछे ये मान्यता है कि सृष्टि की रचना के बाद सबसे पहली फसल जौ की उगाई गई थी। 9 दिनों की नवरात्रि पूजा के बाद इसे नदी या फिर तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है. आइए जानते हैं जौ बोने का महत्व-
जौ बोने का महत्व
मान्यतओं के अनुसार प्रकृति की शुरुआत में जौ की फसल सबसे पहले बोई गई थी, इसलिए इसे पूर्ण फसल भी कहते है। नवरात्रि के दिनों में सिर्फ जौ बोने से ही सब कुछ नहीं होता बल्कि इसके बढ़ने की गति भी बहुत कुछ बताती है। इन 9 दिनों में जौ कितनी तेजी से बढ़ रही है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। नवरात्रि में जौ को बोने के पीछे कुछ शुभ और अशुभ संकेत भी छुपे होते हैं।
यदि नवरात्रि में जौ बोने के कुछ समय बाद ही उगने लगें और जल्द ही हरी-भरी हो जाएं तो यह आपके लिए एक बहुत ही शुभ संकेत है। इससे संकेत मिलता है कि आपके घर के कामों में आ रही हर प्रकार की रुकावट जल्द ही दूर होगी और घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
यदि आपके घर की जौ सफेद और हरे रंग में तेजी से बढ़ रही है तो यह एक शुभ संकेत माना गया है। इसका अर्थ है कि माता ने आपकी पूजा स्वीकार की है।
पीले रंग में उगने वाली जौ को भी घर में खुशियों की दस्तक माना जाता है।
यदि नवरात्रों में बोई गई जौ ठीक प्रकार से नहीं उग रही हैं या यदि जौ काले रंग की टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं तो इसे भी एक अशुभ संकेत माना गया है।