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जब किसान बन थाने में पहुंचे प्रधानमंत्री, ‘युग नायक’ कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह की 119 वीं जयंती आज

एक नेता जिसने किसानों के जीने का तरीका बदला, एक नेता जिसके मुंहफट अंदाज के लोग कायल थे। एक नेता जिसकी मुस्कुराहट दुर्लभ थी। एक नेता जिसकी जिंदगी बेहद सादी थी, सादी इतनी कि अगर घर में कोई बल्ब बेफिजुल जल जाए तो सारा घर माथे पर उठा लेते। जिंदगी इतना सादी की हवाई यात्रा के सख्त पाबंद थे। चौधरी चरण सिंह को पहचानने के लिए इतने संकेत काफी हैं। आज का दिन किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता क्योंकि आज यानी 23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह की 119 वीं जयंती है।

जाट परिवार में हुआ चौधरी चरण सिंह का जन्म

बात तब की है जब कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन चल था। देश में पुर्ण स्वराज्य का बिगुल बज चुका था। इस समय चौधरी चरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को यूपी के एक जाट परिवार में हुआ। चरण सिंह ने स्कूली शिक्षा अपने गांव से ही ली। बाद में आगरा विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई कर गाजियाबाद में वकालत करने लगे।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चरण सिंह ने मेरठ प्रमंडल में क्रांति की आग जलाई। अंग्रेजों ने तो उन्हें देखते ही गोली मारने के आदेश दे रखे थे, लेकिन युवा चरण सिंह इलाके में जाकर लोगों के बीच सभाएं करता और चुप-चाप निकल जाता। अंत में जा कर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 2 साल के लिए कारावास करार दिया। इसी कारावास के दौरान उन्होंने ‘शिष्टाचार’ नाम की पुस्तक लिखी।

किसानों के लिए उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। लोग उन्हें युग नायक या जन-नायक के तौर पर जानते थे। 1968 और 1970 यूपी के मुख्यमंत्री बनें। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार में गृह मंत्री बना दिया गया।

1979 के जुलाई महीने के 28 वें दिन में चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस(युनाइटेड) के सहयोग से प्रधानमंत्री बनें।

जब किसान बन थाने में पहुंचा देश का प्रधानमंत्री

चौधरी चरण सिंह के कई किस्सों में से एक किस्सा पश्चिमी यूपी आज भी बड़े चाव से सुनाए जाते हैं।

कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए चौधरी चरण सिंह एक बार इटावा जिले गए हुए थे। जिले के ऊसराहार थाने में जाने से पहले उन्होंने अपने कुर्तें पर जरा मिट्टी रगड़ ली। थाने में जाते ही वे हेड कॉन्‍स्‍टेबल के पास जाकर खड़े हो गए। चरण सिंह ने हेड कॉन्‍स्‍टेबल से कहा कि ‘रिपोर्ट लिखानी है’।

हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने नजरअंदाज करते हुए कहा, ‘के बात की’ ?

किसान के भेष में चौधरी चरण सिंह ने पुलिस वाले से कहा, मैं मेरठ से अपने रिश्‍तेदार के घर आया था यहां से बैल खरीदने। लेकिन राह में किसी ने मेरी जेब काट ली और पैसे चुरा लिए।

हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने इतनी बात सुनी और आग बबुला होते हुए बोला, इतनी दूर तू बैल खरीदने आया है ? क्या पता तूने नशे में कहीं पैसे उड़ा दिए हों ? और बीबी के डर से यहां चला आया।

लिहाजन हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया।

बहुत देर तक थाने में चक्कर लगाने के बाद एक सिपाही ने बताया की कुछ ले देकर रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है।

जिसके बाद रिपोर्ट लिखने का सिलसिला शुरु हुआ। जब हस्ताक्षर की बारी आई तो सिपाही ने पुछा, ‘अंगुठा लगाओगे या दस्तख़त करोगे’ ?

जवाब में चरण सिंह ने कहा, ‘अंगुठा लगाउँगा’।

इतने में चौधरी चरण सिंह ने अपने कुर्तें में से एक मुहर निकाली और कागज पर लगा दिया।

मुहर पर लिखा था भारत सरकार। थाने में सबके होश उड़ गए। बहरहाल इस घटना के बाद पूरे थाने को सस्पेंड कर दिया गया।

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