हाल ही में राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की मौत के बाद भी खत्म नहीं होता है। कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त नहीं हो जाता और प्राइवेट चैट्स और मृत व्यक्ति की तस्वीरों का खुलासा आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने कहा कि अधिनियम इस बात की पुष्टि करता है कि प्राइवेट स्पेस का संरक्षण जरूरी और वहां से निकलने वाली जानकारी का कोई भी खुलासा स्वैच्छिक और बिना बाध्यता के होने चाहिए। मृतकों के सम्मान करने के दायित्व का बोध कराते हुए कोर्ट ने कहा कि दायित्व एक उच्च नैतिक आधार मानता है क्योंकि मृतक अपने प्राइवेट स्पेस में इस तरह के किसी भी घुसपैठ के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकता है।
निजता का अर्थ क्या है?
निजता (Privacy) का अर्थ किसी व्यक्ति या किसी सांस्था अथवा किसी समूह की अपनी गोपनीय जानकारी/महत्वपूर्ण जानकारी, निजता कहलाती है, निजता किसी के जीवन, स्वास्थ, सम्पत्ति, शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदि महत्वपूर्ण जानकारी जिससे वह अपनी एवंम् अपने परिवार की रक्षा के लिये उपयोग में ला सकेगा।
किसी व्यक्ति अथवा संस्था के निजी जीवन सम्बन्धी समस्त जानकारी जिसका कोई दूसरा व्यक्ति अतिक्रमण कर सकता है, तो प्रत्येक व्यक्ति अथवा संस्था के पास यह अधिकार होता है कि वह ऐसे अपनी निजी जानकारी को गोपनीय रखे, जिससे कोई व्यक्ति दुरूपयोग न कर सके।
क्या होता है राइट टू प्राइवेसी का अधिकार
निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। बाद में इसमें निजता के अधिकार को भी जोड़ दिया गया। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के जीवन में किसी अन्य व्यक्ति की जबरदस्ती के हस्तक्षेप पर रोक भी लगायी जा सकती है। यह अधिकार हर व्यक्ति को यह स्वतंत्रता भी देता है कि वह खुद इस बात का फैसला कर सकता है कि उसकी निजी जिंदगी से जुड़ी जानकारी किसके साथ शेयर हो सकती है और किसके साथ नहीं।