
Weather Update : मौसम विभाग के अनुसार, 15 जून से उत्तर प्रदेश के लोगों को तेज गर्मी से राहत मिल जाएगी. साथ हीं, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जल्द ही उत्तर पश्चिम भारत में दस्तक देने जा रहा है.
उतर प्रदेश समेत उत्तर भारत में इन दिनों तेज गर्मी का कहर जारी है. यूपी दिल्ली हरियाणा पंजाब राजस्थान जैसे राज्यों में तापमान बहुत अधिक चल रहा है. हीटवेव में लोगों का जीना मुहाल हो गया है, लेकिन इस बीच उत्तर प्रदेश का मौसम बदलने वाला है. मौसम विभाग ने खुशखबरी दी है कि 15 जून से यूपी के लोगों को गर्मी से राहत मिल जाएगी. वहीं मॉनसून भी जल्द ही उत्तर पश्चिम भारत में दस्तक देने जा रहा है.
मध्य भारत के बड़े हिस्से में लू की स्थिति पैदा हो गई
वहीं यदि मॉनसून की बात करें तो इस सप्ताह इसकी प्रगति ने एक बार फिर गति पकड़ ली है. इस वर्ष मानसून के सामान्य तिथियों से पहले 25 जून तक दिल्ली समेत उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों को आच्छादित करने की संभावना जताई जा रहीं है. मॉनसून 24 मई को केरल पहुंचा था. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर बने मजबूत निम्न दबाव प्रणालियों की सहयोग से, मॉनसून अगले कुछ दिनों में तेजी से आगे बढ़ा, और 29 मई तक मुंबई सहित मध्य महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों और पूरे पूर्वोत्तर को कवर कर लिया. हालांकि, मॉनसून 28-29 मई के बाद लगभग 10-11 जून तक स्थिर रहा लेकिन इसके बाद फिर से सक्रिय हो गया. वहीं जून की शुरुआत से ही बारिश में कमी के कारण तापमान में तेजी से वृद्धि दर्ज की हुई, जिसके चलते 8-9 जून से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कई हिस्सों भीषण गर्मी और लू जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई.
22-23 जून तक दिल्ली पहुंचने की संभावना
भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, मॉनसून अब 18 जून तक मध्य और पूर्वी भारत के शेष हिस्सों के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों को भी कवर कर लेगा. इसके बाद 19 जून से 25 जून के बीच मॉनसून उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश भागों में आगे बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह सिस्टम तीस जून की सामान्य शुरुआत तिथि से पहले 22-23 जून तक दिल्ली पहुंचने की संभावना है.
आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता
दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून आम तौर पर एक जून तक केरल में शुरू होती है, 11 जून तक मुंबई में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. यह 17 सितंबर को उत्तर-पश्चिम भारत के करीब हटना शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस आ जाता है, मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉनसून के आगमन की तिथि का पूरे देश में विस्तार की गति या प्रभाव से सीधा संबंध नहीं होता. उनका कहना है कि यदि मॉनसून केरल या मुंबई से पहले या देर से पहुंचता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य देशों में भी इसी तरह की प्रगति होगी. हर क्षेत्र में मॉनसून की प्रगति स्थानीय मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करती है.
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