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आखिर शादी में घोड़ी पर क्यों बैठता है दूल्हा, जानें दुल्हन की मांग भरने की वजह

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शादी वाले दिन दूल्हा घोड़ी पर बैठकर बारात लेकर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचता है। और वहां दूल्हा-दुल्हन की वरमाला होने के बाद फेरे होते हैं।

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हिंदू धर्म में शादी की रस्मों का सिलसिला काफी दिन पहले से शुरु हो जाता है। हल्दी, मेहंदी, उबटन, भात जैसी कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं। शादी वाले दिन दूल्हा (Groom) घोड़ी पर बैठकर बारात लेकर दुल्हन (Bride) के दरवाजे पर पहुंचता है। और वहां दूल्हा-दुल्हन (Groom Bride) की वरमाला होने के बाद फेरे होते हैं। इस बीच जूता चुराई की भी रस्म होती है, जिसमें दुल्हन की छोटी बहन अपने जीजा जी के जूते चुराती है। और जूते वापस लेने के लिए उसे साली को नेग देना पड़ता है। ऐसी तमाम रस्में होने के बाद एक शादी पूरी होती है। इन रस्मों के पीछे सिर्फ धार्मिक मायने नहीं हैं। बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। यहां जानिए इनके बारे में।

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मेहंदी खत्म करती तनाव

मेहंदी को दुल्हन का श्रंगार माना गया है। इसे भी शुभ माना जाता है और खुशी के मौके पर लगाया जाता है। इसलिए शादी से पहले दूल्हा- दुल्हन (Groom Bride) की मेहंदी की रस्म होती है। इसके अलावा मेहंदी तासीर में ठंडी होती है। इसे लगाने से मन शांत होता है। ऐसे में दूल्हा और दुल्हन को किसी भी तरह के तनाव नहीं होता है।

श्री कृष्ण ने शुरु की भात की रस्म

धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि भात की प्रथा श्री कृष्ण के समय से चली आ रही है। जब वह पहली बार सुदामा की लड़की के विवाह के लिए परिवार वालों के पास उपहार लेकर पहुंचे थे। आज के समय में भात की प्रथा मामा की तरफ से निभाई जाती है। इसमें मामा अपने भांजे या भांजी के लिए और बहन की ससुराल वालों के लिए भी उपहार लाते हैं

आखिर क्यों घोड़ी चढ़ता है दूल्हा

दूल्हे को घोड़ी पर बैठाने के पीछे भी एक लॉजिक है। इसका कारण यह है कि घोड़ी को सभी जानवरों में चंचल व कामुक माना जाता है। इस कामुक जानवर की पीठ पर बैठाना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति कभी इस स्वभाव को खुद पर हावी ना होने दें।

सात फेरों का बंधन

दरअसल अग्नि को हिंदू धर्म बहुत पवित्र माना जाता है। अग्नि के जरिए कही किसी भी बात के साक्षी स्वंय देवी देवता होते हैं। इसलिए शादी के समय अग्नि के समक्ष वर और वधू एक दूसरे के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी से रिश्ता निभाने का वचन लेते हैं। इसके बाद अग्नि के इर्द गिर्द सात फेरे लेकर इस रिश्ते को सामाजिक रुप से स्वीकारते हैं।

क्यों भरी जाती है मांग

शादी की रस्म के समय दूल्हा दुल्हन की मांग में लाल सिंदूर भरा जाता है, जिसे शादी के बाद दुल्हन जीवनभर लगाती है। सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना गया है। शादी के समय मांग में सिंदूर भरना इस बात का संकेत है कि आज से वो कन्या समाज में उस व्यक्ति की पत्नी के रुप में जानी जाएगी।

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