Uttarakhand: बेरोजगारों पर लाठीचार्ज मामले में शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट, बेरोजगार संघ ने उठाए सवाल

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9 फरवरी को बेरोजगार संघ के प्रदर्शन के दौरान हुए बवाल की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में पुलिस लाठीचार्ज की कार्रवाई को सही ठहराया गया है। शासन ने मामले की विस्तृत जांच पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी से कराने का फैसला लिया है। जिस पर बेरोजगार संघ ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर 9 फरवरी को देहरादून में बेरोजगार संघ के प्रदर्शन के दौरान जमकर बवाल हुआ था। युवाओं और पुलिस में झड़प हुई थी। जिसके बाद पुलिस ने युवाओं पर जमकर लाठियां भांजी थीं। गुस्साए युवाओं ने भी पुलिस पर पथराव किया था। कई वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई थी।

इस मामले की जांच आयुक्त गढ़वाल को सौंपी गई थी। गढ़वाल आयुक्त ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में पुलिस लाठीचार्ज की कार्रवाई को सही ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। रिपोर्ट में पुलिस की लापरवाही की बात भी कही गई है। एसएसआई शहर कोतवाली, धारा चौकी प्रभारी और एलआईयू इंसपेक्टर पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

जिसके आधार पर तीनों का ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने मामले की विस्तृत जांच पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी से कराने का फैसला लिया है। शासन ने नैनीताल हाईकोर्ट के 17 फरवरी की तल्ख टिप्पणी के मद्देनजर जांच की बात कही है। जिसमें हाईकोर्ट ने हिंसा फैलाने वालों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा था। शासन के निर्देश पर आईजी विम्मी सचदेवा को ये जिम्मेदारी दी गई है। जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सौंप दी गई है।

लेकिन इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा है कि पुलिस ने 8 फरवरी की रात को शांतिपूर्ण धरना दे रहे युवाओं पर बल प्रयोग किया। जिससे युवाओं में गुस्सा रहा और 9 फरवरी को प्रदर्शन के दौरान भी पुलिस ने युवाओं पर पहले लाठीचार्ज किया। बॉबी पंवार ने कहा है कि 8 फरवरी की घटना की जांच के बगैर सही जांच होना संभव ही नहीं है।

वहीं विपक्षी कांग्रेस ने भी पुलिस कार्रवाई की, पुलिस से ही जांच कराने पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने शायराना अंदाज में ट्वीट कर कहा है कि पहले जांच में छोटों को निपटाया गया और बड़े अधिकारियों को बचाया गया। और अब आगे की जांच प्रशासन खुद करेगा। ये कैसी जांच और कैसा न्याय है। अब बवाल के पीछे किसका हाथ रहा और विरोध की आड़ में क्या सचमुच कोई बड़ी साजिश की गई इसका खुलासा तो विस्तृत जांच के बाद ही होगा। लेकिन बेरोजगार संघ और विपक्ष के तेवर से साफ है कि इस मुद्दे पर सरकार के लिए चुनौती फिलहाल कम नहीं होने वाली है।

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