Advertisement

भारत की न्याय प्रणाली पड़ी सुस्त, 20 रुपये के लिए करना पड़ा 22 साल का इंतजार

Share
Advertisement

भारत की न्याय प्रणाली इतनी सुस्त है जिसका ताजा उदाहरण साफ देखने को मिल रहा है। आज हम आपको उसी खबर के बारे में बताएंगे आपको बता दें कि आज से 22 साल पहले एक युवक ने रेलवे के एक कलर्क पर 20 रुपये  ज्यादा लेने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी, जिसका फैसला हाल ही में आया है। यानी सरल भाषा  में कहें  तो देर आए दुरूस्त आए जैसी तस्वीर सामने आ रही है।   

Advertisement

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के एक अधिवक्ता ने रेलवे से 20 रुपये के लिए 22 साल से अधिक समय तक लड़ाई लड़कर आखिरकार जीत हासिल कर ली है। अब रेलवे को एक माह में उन्हें 20 रुपये पर प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाकार पूरी रकम चुकानी होगी। साथ ही, आर्थिक व मानसिक पीड़ा एवं वाद व्यय के रूप में 15 हजार रुपये जुर्माने के रूप देने का निर्देश भी दिया गया है।जिला उपभोक्ता फोरम ने पांच अगस्त को इस शिकायत का निस्तारण करते हुए अधिवक्ता के पक्ष में फैसला आया है।

अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताई बड़ी बातें

मथुरा के होलीगेट क्षेत्र के निवासी अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी ने सोमवार को बताया कि 25 दिसंबर 1999 को अपने एक सहयोगी के साथ मुरादाबाद जाने के वास्ते टिकट लेने के लिए वह मथुरा छावनी की टिकट खिड़की पर गए थे। उस समय टिकट 35 रुपये का था। उन्होंने खिड़की पर मौजूद व्यक्ति को 100 रुपये दिए, जिसने दो टिकट के 70 रुपये की बजाए 90 रुपये काट लिए और कहने पर भी उसने शेष 20 रुपये वापस नहीं किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *