राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने के लिए जंतर मंतर पर 30 से ज्यादा संगठनों ने मिलकर किया रोजगार संसद का आयोजन

नई दिल्ली: देश की बात फाउंडेशन की पहल पर संयुक्त आयोजन समिति के बैनर तले आयोजित किये गए इस रोज़गार संसद में 30 से अधिक प्रमुख छात्र, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, NGO’s आदि ने ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ के मसौदे पर विचार-विमर्श के लिए 2000 से अधिक लोगो के साथ हिस्सेदारी की।
आज देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है: गोपाल राय
रोजगार संसद को दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री और देश की बात फाउंडेशन के संस्थापक गोपाल राय ने संबोधित किया। गोपाल राय ने कहा आज देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है । बड़ी- बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर -दर भटक रहे हैं । रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है, जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जिससे काम करने के बावजूद लोगों को सम्मान पूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है।
आगे गोपाल राय ने कहा देश की बात फॉउंडेशन जो एक वैचारिक संगठन है और ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ की विचारधारा के आधार पर राष्ट्रनिर्माण के लिए काम कर रहा है, सकारात्मक राष्ट्रवाद का मानना है, बेरोज़गारी की समस्या का समाधान – ‘राष्ट्रीय रोज़गार नीति’ है । ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ के अनुसार रोज़गार सिर्फ़ आर्थिक मसला नहीं है, बल्कि राष्ट्रनिर्माण में सबकी हिस्सेदारी का मसला भी है। रोज़गार के ज़रिए ना सिर्फ भौतिक जरूरतें जैसे रोटी, कपड़ा, मकान की जरूरत पूरी होती है बल्कि राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी के ज़रिए आत्म-संतुष्टि व आत्मसम्मान भी पूरा होता है।
उन्होनें कहा बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए आजादी के बाद भारत में जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, आज तक हमारी सरकारों ने ऐसी नीतियों नही बनाई। यही कारण है कि आजादी के सात दशक से अधिक समय के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है।