लोकतंत्र के मंदिर(संसद) में हुआ राष्ट्रपति का विदाई समारोह ,नेताओं को पढ़ाया गांधीगिरी का पाठ

नई दिल्ली:भारत के संसद भवन में शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।इसी कार्यक्रम में कोविंद ने कहा कि सभी राजनेताओं को राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर देश के कल्याण को आगे रखकर स्वच्छ राजनीति करनी चाहिए। संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने शांति और सद्भाव के मूल्य पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी नेताओं को गांधीवादी का भी पाठ पढ़ाया।उन्होनें ये भी कहा कि लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि हम सत्ता में बैठी सरकारका विरोध कर सकतें हैं, इसके साथ ही हम ।लेकिन हम सभी को ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि हमें विरोध भी गांधी के उसूलों को मानते हुए करना चाहिए। उनकी ये बातें तब और खास हो जाती हैं कि जब देश का संसद मौजूदा समय में राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। इस यादगार उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत दोनों सदनों के सांसद मौजूद रहे।आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो जाएगा। जिसके बाद देश की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्र भारत की 15 वीं राष्ट्रपति के रुप में शपथ लेंगी।
रामनाथ कोविंद ने देश को नेताओं को पढ़ाया स्वच्छ राजनीति का पाठ
संसद भवन के संट्रेल हाल में आयोजित विदाई समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि संसद में बहस और असहमति के अधिकारों का प्रयोग करते समय सांसदों को हमेशा गांधीवाद का पालन करना चाहिए। सांसद कोई राजनीतिक अखाड़ा नहीं है बल्कि संसद तो लोकतंत्र का मंदिर है। इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने देश के लोगों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहुंगा। राष्ट्रपति कोविंद ने द्रौपदी मुर्मू को नए राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को लाभ होगा। वहीं अपने कार्यकाल के दौरान समर्थन के लिए उन्होंने पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी धन्यवाद दिया।
रिपोर्ट: निशांत