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Metal Discover: Tantalum का खजाना, जानें क्या खास है IIT की खोज

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Metal Discover: IIT (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) रोपड़ को हाल ही में एक बड़ी सफलता मिली है। खबर है कि संस्थान से जुड़े शोधकर्ताओं को पंजाब में सतलुज नदी की रेत में बेहद दुर्लभ धातु Tantalum मिला है।  पहली बार इसकी खोज 221 साल पहले हुई थी।  

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यह खोज संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. रेस्मी सेबेस्टियन की अध्यक्षता वाली एक टीम ने की है। विशेषज्ञों के अनुसार, टैंटलम की उपस्थिति न केवल पंजाब बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस धातु का व्यापक रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर में उपयोग किया जाता है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि इस खोज के बाद भारत को इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में रफ्तार मिल सकती है।  

Metal Discover: क्या है टेंटेलम?

टैंटेलम को काफी दुर्लभ माना जाता है। आज के दौर में इस्तेमाल होने वाली सबसे जंग रोधी धातुओं में से यह एक है। यह ग्रे कलर का होता है और बेहद सख्त होता है। खास बात है कि जब टैंटेलम शुद्ध होता है, तो वह काफी लचीला होता है। इतना कि इसे खींचा जा सकता है, पतला कर तार या धागे जैसा भी बनाया जा सकता है। इसका मेल्टिंग पॉइंट भी काफी ज्यादा होता है। इस मामले में टैंटेलम से आगे सिर्फ टंगस्टन और रीनियम होते हैं।

कहां होता है इस्तेमाल

टैंटेलम का इस्तेमाल मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में होता है। टेंटेलम से तैयार हुए कैपेसिटर्स में छोटे आकार में भी बड़े स्तर पर बिजली जमा करने की क्षमता होती है। इसके चलते इन्हें समार्टफोन, लैपटॉप और डिजिटल कैमरा जैसी डिवाइस में इस्तेमाल के लिए आदर्श माना जाता है। इस धातु का नाम पौराणिक ग्रीक मिथक के चर्चित नाम टेंटेलस के नाम पर रखा गया है।

हाई मेल्टिंग पॉइंट होने के चलते इसका इस्तेमाल प्लेटिनम की जगह भी होता है। खास बात है कि टेंटेलम के मुकाबले प्लेटिनम ज्यादा महंगा होता है। साथ ही इसका इस्तेमाल कैमिकल प्लांट्स, न्यूक्लियर पावर प्लांट्स, हवाई जहाज और मिसाइल के कम्पोनेंट्स या घटक बनाने में भी होता है।

इतिहास

स्वीडन के कैमिस्ट एंडर्स गुस्ताफ एकनबर्ग ने साल 1802 में टैंटेलम की खोज की थी। शुरुआत में माना गया कि एकनबर्ग को सिर्फ नियोबियम किसी अलग रूप में मिला है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्ज के हवाले से लिखा, ‘यह मुद्दा साल 1866 में हल हो सका था, जब स्विस कैमिस्ट जीन चार्ल्स गैलिसार्ड डी मैरिग्नेक ने यह साबित किया कि टैंटेलम और नियोबियम दो अलग-अलग धातु हैं।’

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