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सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को रोकने में असमर्थ होने पर नौकरशाहों को बताया विफल, जज बोलें: जड़ता में चली गई है नौकरशाही

नई दिल्ली: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उपाय करने में नौकरशाही की विफलता की ओर इशारा किया है।  

उच्च न्यायालय वायु प्रदूषण से से संबंधित 17 वर्षीय दिल्ली के एक छात्र द्वारा दायर एक मामले की सुनवाई कर रहा था।

सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों ने कार्यपालिका कि कार्य प्रणाली को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, ‘नौकरशाही जड़ता में चली गई है और वे कुछ भी नहीं करना चाहते हैं। छिड़काव या पानी की बाल्टी का उपयोग करने के लिए, हमें कहना होगा। यह कार्यपालिका का रवैया है ?’

मामले की सुनवाई के दौरान बेंच के हिस्सा रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह उदासीनता और सिर्फ उदासीनता है’। इतना कहने के साथ ही जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायधीश एन.वी रमन्ना के द्वारा की गई टिप्पणी पर सहमति जताई।

टीवी डिबेट किसी भी तुलना में अधिक प्रदूषण पैदा कर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी डिबेट करने के तरीके पर विशेष रूप से कानूनी और अदालत से संबंधित मुद्दों पर बहस करते हुए कहा कि इस तरह की टीवी बहसें किसी भी चीज़ की तुलना में अधिक प्रदूषण पैदा कर रही हैं। दरअसल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से शिकायत करते हुए कहा कि टीवी डिबेट में उनके बारे में ये बात चल रही है कि उन्होंने पराली जलाने पर कोर्ट को गुमराह किया।

इसके बाद कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे गुमराह नही हुए और उन्होंने अपने विवेक का इस्तेमाल किया था।

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