बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा ‘जिस हॉस्पिटल से बच्चा चोरी हों, तुरंत लाइसेंस रद्द होने चाहिए…’

सुप्रीम कोर्ट बाल तस्करी मामले में सख्त
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की तस्करी मामले में सुनवाई करते हुए राज्यों पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से चुराया जाता है तो सबसे पहले उस अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली- एनसीआर में नवजात बच्चों की तस्करी के गैंग के पर्दाफाश से जुड़ी खबर पर संज्ञान लेते हुए की है।
6 महीने में सुनवाई पूरा करने का आदेश
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सख्त निर्देश देते हुए निचली अदालतों को बाल तस्करी के मामलों की सुनवाई 6 महीने में पूरी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा, “देश भर के उच्च न्यायालयों को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने का निर्देश दिया जाता है। इसके बाद 6 महीने में मुकदमे को पूरा करने और दिन-प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।”
कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें तस्करी करके लाए गए एक बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दंपत्ति को सौंप दिया गया था जो बेटा चाहते थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी।
आरोपियों की जमानत रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले से निपटने के तरीके को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों को फटकार लगाई।
बेंच ने कहा, आरोपी को बेटे की चाहत थी और उसने 4 लाख रुपये में बेटा खरीद लिया। अगर आप बेटे की चाहत रखते हैं तो आप तस्करी किए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते, वो जानता था कि बच्चा चोरी हुआ है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत आवेदनों पर ऐसी कार्रवाई की, जिसके कारण कई आरोपी फरार हो गए।
अदालत ने कहा, ये आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। जमानत देते समय हाई कोर्ट से कम से कम यह अपेक्षित था कि वो हर सप्ताह पुलिस थाने में उपस्थिति दर्ज कराने की शर्त लगाता। पुलिस सभी आरोपियों का पता लगाने में विफल रही।
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