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जब दस मिनट के लिए टूट गया था अंतरिक्ष यात्रियों से संपर्क, जानें वजह

Sunita Williams Return : भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को लेकर नासा और स्पेसएक्स का स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन धरती पर पहुंच चुका है। सुनीता विलियम्स के साथ बुच विल्मोर और दो अन्य साथी भी लौटे हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से लेकर फ्लोरिडा के तट से लगे समंदर में लैंड करने तक 17 घंटे का समय लगा।

इन 17 घंटों में दस मिनट का समय ऐसा भी था जो धड़कनों को सबसे अधिक बढ़ाने वाला पल होता है। जब दस मिनट ग्राउंड पर बैठे मिशन कंट्रोल से ड्रैगन कैप्सूल का कनेक्शन पूरी तरह टूट गया था।

कैप्सूल पर कोई कंट्रोल नहीं होता

बता दें कि जब कैप्सूल धरती के वायुमंडल में आता है तब उसकी रफ्तार लगभग 28000 किमी प्रति घंटे की होती है। इस रफ्तार से जब कैप्सूल गुजरता है तो वायुमंडल से रगड़ खाता है और घर्षण यानी फ्रिक्शन की वजह से कैप्सूल 3500 फेरेनाइट तक तप जाता है। इसका मतलब है कि तापमान इतना बढ़ जाता है कि लोहा भी पानी हो जाए। लेकिन कैप्सूल में लगीं विशेष धातुएं कैप्सूल को गर्मी से बचाती हैं। इस मुश्किल समय में कैप्सूल का सिग्नल भी टूट जाता है। नासा के अनुसार यह समय करीब सात से दस मिनट तक का रहा है। मिशन कंट्रोल का कैप्सूल पर कोई कंट्रोल नहीं होता।

तापमान को अंदर नहीं जाने देते

इस दौरान कैप्सूल के अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्री जब बाहर की तरफ देख रहे होंगे तो अंतरिक्ष यात्री को ऐसा लगा होगा कि वो किसी आग के गोले में बैठे हैं। लेकिन उन्हें यह तापमान फील नहीं होता क्योंकि कैप्सूल की उपरी परत में हीट शिल्ड टाइल्स लगे होते हैं जो तापमान को अंदर नहीं जाने देते।

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