Bihar : ‘सतत जीविकोपार्जन’ योजना से लिखी बदलाव की एक नई इबारत

Success Stories of Bihar Ladies
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Success Stories of Bihar Ladies : बिहार में सरकार की योनजाओं ने कई महिलाओं की तकदीर बदली है. संघर्ष से सफलता तक के उनके सफर में अनेक परेशानियां और व्यवधान आए लेकिन उनकी मेहनत, हिम्मत और सकारात्मक सोच ने उनके जीवन को एक सकारात्मक दिशा की ओर मोड़ा और इस दिशा में सरकार की सततजीविकोपार्जन योजना की मदद से वो सफलता के उस मुकाम पर पहुंची जिससे न सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी एक मिसाल हैं. ऐसी ही संघर्ष से सफलता तक की इबारत लिखने वाली महिलाओं में अजमेरी खातून, अनीता देवी और माला देवी हैं. आइए एक नजर डालते हैं इनके जीवन पर.

अजमेरी खातून बताती हैं कि उनकी शादी लगभग 8 साल पहले सिवान जिला के गोरियाकोठी प्रखंड के हरिहरपुर कला गांव निवासी सलाउद्दीन से हुई. अचानक शादी के 4 साल बाद पति को लकवा बीमारी हुई. इस बीमारी से पूरे परिवार पर रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया. अजमेरी खातून के परिवार में पति-पत्नी के अलावा तीन बच्चे और बुजुर्ग सास ससुर भी हैं. अजमेरी खातून को समझ में नहीं आ रहा था की ऐसी स्थिति में वह क्या करें. जैसे तैसे किसी के खेत में मजदूरी और अन्य लोगों के घरों में काम कर परिवार की गुजर बसर करने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद भी कई बार परिवार को लोगों को रात में भूखा ही सोना पड़ता.

साल 2020 में एकता ग्राम संगठन द्वारा सततजीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत सीआरपी ड्राइव चला. जिसमें सीआरपी द्वारा अजमेरी खातून का चयन सततजीविकोपार्जन योजना में किया गया. चयन होने के बाद अजमेरी ने व्यवसाय के रूप में श्रृंगार की फेरी ली.

एकता ग्राम संगठन द्वारा अजमेरी को 20000 रुपया का श्रृंगार का सामान उपलब्ध करवा दिया गया. साथ ही अजमेरी को एल.जी.एफ. का 7000 रुपया सात महीने तक दिया गया और विशेष निवेश निधि का 10000 रुपये की राशि दी गई. शुरुआती दिन में अजमेरी श्रृंगार की फेरी करके परिवार का भरण पोषण करने लगी. थोड़ा-थोड़ा करके अजमेरी ने कुछ पैसों की बचत की और उस पैसे से एक सिलाई मशीन खरीद ली. अजमेरी जो पहले से ही सिलाई में निपुण थी उसने अपने पति को भी यह काम सिखा दिया. इसके बाद धीरे-धीरे एक किराने की दुकान भी डाली. इसके बाद इन तीन व्यवसायों में हुए मुनाफे से चार बकरियां भी खरीद लीं. आज अजमेरी के पास 11 बकरियां हैं. अब अजमेरी खातून की कुल संपत्ति 1,17,804 रूपये का है. मासिक आमदनी 10,000 से 12,000 है. धीरे धीरे अजमेरी ने दो कमरों का एक छोटा घर बनाया और परिवार की अन्य जरूरतें भी पूरी करने लगीं. आज अजमेरी और उनका परिवार बहुत खुशहाल है. अजमेरी खातून का यह सपना है कि भविष्य में अपने पति के लिए एक बड़ा सा wholesale (थोकबिक्री) की किराना दुकान खोलें और अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देकर उस योग्य बनाएं जिससे कि उनके बच्चे जीवन में कुछ कर सकें.

ऐसा ही एक उदाहरण सीवान जिले के बसंतपुर गांव निवासी अनीता देवी हैं. सीवान जिले के बसंतपुर गांव की निवासी और हिम्मत सीएलएफ के तहत सोनी वीओ के सुहानी एसएचजी की एक उत्साही सदस्य अनीता देवी ने पारंपरिक मिठाइयों के लिए स्थानीय समुदाय की लालसा को पूरा करने के लिए एक मिठाई की दुकान शुरू करने का अवसर खोजा। खाना पकाने का शौक होने और पारिवारिक अवसरों के लिए मिठाइयाँ बनाने का पूर्व अनुभव होने के कारण, अनीता ने इस उद्यम को न केवल अपने उद्यमशीलता के सपनों को पूरा करने के तरीके के रूप में देखा,  बल्कि परिवार की आय में भी योगदान दिया।

अनीता ने बताया कि 2 साल पहले, अनीता देवी के पति, जो परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, उनका कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। अनीता देवी के पास 3 बेटे थे, जिनमें से 2 किशोर हैं और 1 बेरोजगार है। अनीता देवी ने इस आपदा से निपटने के लिए अवसर की तलाश की. वकौल अनीता अपने बेटे के साथ मिठाई की दुकान स्थापित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें सीमित प्रारंभिक पूंजी शामिल थी। अन्य चुनौतियों में गुणवत्ता वाली सामग्रियों की अनुपलब्धता और गांव के कुछ पास के मिठाई की दुकानों से प्रतिस्पर्धा शामिल थी।

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए, अनीता देवी ने सुहानी एसएचजी से 20,000 रुपये का ऋण लिया, जिसमें से उन्होंने पहले ही 15,000 रुपये चुका दिए थे। वह पीएमएफएमई सीड कैपिटल ऋण की लाभार्थी भी हैं, जिसकी राशि 40,000 रुपये है। अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए, अनीता ने अपनी दुकान में परवल मिठाई और रबड़ी लस्सी जैसी मिठाइयों के साथ प्रयोग किया, ताकि उनकी मिठाइयाँ प्रतियोगियों से अलग दिखें। हाल ही में, उन्होंने स्थानीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मिठाइयों के लिए एक डिस्प्ले काउंटर खरीदा है।

वर्तमान समय में, अनीता देवी ताजा सामग्रियों का उपयोग करके उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पाद परोस रही हैं और स्वच्छता मानकों को बनाए रख रही हैं। वह उत्कृष्ट ग्राहक सेवा को प्राथमिकता देती हैं, हर ग्राहक को व्यक्तिगत और मैत्रीपूर्ण अनुभव सुनिश्चित करती हैं। वह प्रतिदिन 300-400 रुपये कमाती हैं, जिससे उन्हें प्रति माह 14,000 रुपये का लाभ होता है। इस व्यवसाय ने अनीता दीदी को अपने परिवार के लिए एक अच्छा आय स्रोत प्रदान किया है। साथ ही, अनीता देवी की सफलता ने अन्य ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं, को अपने उद्यमी आकांक्षाओं का पीछा करने के लिए प्रेरित किया है।

अपने व्यवसाय के विकास के लिए, अनीता नई उत्पादों को पेश करने की योजना बना रही हैं, लंच आइटम्स जैसे रोटी-सब्जी, दाल-रोटी, दालचावल और बेकरी आइटम्स जैसे केक, पेस्ट्री आदि। अनीता देवी की यात्रा विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों में उद्यमिता की परिवर्तनकारी क्षमता का उदाहरण देती है। दृढ़ संकल्प, संसाधनशीलता और सामुदायिक समर्थन के माध्यम से, अनीता अपने मिठाई की दुकान के मालिक होने के अपने सपने को एक सफल वास्तविकता में बदलने में सक्षम हुईं, अपने गांव के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया। उनकी कहानी ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से अपने समुदायों में सकारात्मक प्रभाव डालना चाहती हैं।

महिलाओं के लिए ऐसी ही एक उदाहरण हैंमालादेवी पत्नी सीताराम. वह ग्राम पोस्ट जामो की निवासी है. मालादेवी की शादी 1997 में हुई. उस समय मालादेवी के परिवार में सास ससुर और एक देवर थे। ससुर परिवार के मुखिया थे और वही घर चलाते थे. पति भी गाव में ही मजदूरी और खेती करते.कुछ साल बीतने के बाद ससुर की तबीयत खराब हुई और इलाज कराने के बाद भी वो बच न सके. घर की जिमेदारी मालादेवी के पति पर आ गई. इसी बीच माला के तीन लड़के हुए. अब तो परिवार की गुजर बसर करने में काफी संकट का सामना करना पड़ा. माला बताती है कि पति शराब के आदी हो गए. धीरे धीरे वो भी बीमार पड़ गए. इसके बाद परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा हो गया. माला दूसरे के खतों में मजदूरी करती लेकिन उन पैसों से न सही से पति का इलाज हो रहा था न ही दो वक्त के खाने का जुगाड़. माला ने बताया कि कई बार तो परिवार के लोगों को भूखा ही सोना पड़ता. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे. हालात दिन व दिन बिगड़ते जा रहे थे.

माला ने बताया कि एक दिन गांव में समूह की दीदी और गीता देवी आईं. दीदी समूह के बारे में बताया और समूह से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. माला जीविका में 2018 में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह (SHGID –834542) से जुड़ गई. वह नियमित समूह में भाग लेने लगी और बचत करने लगी.

बिहार सरकार द्वारा सततजीविकोपार्जन योजना की शुरुआत की गई तो माला का उसमें जीविका महिला ग्राम संगठन द्वारा सतत जीविकोपर्जन योजना में जून2019 में CRP team    द्वारा सर्वेक्षण हुआ. बिहार सरकार के उचित मापदंडों के अनुरूप माला का चयन कर ग्राम संगठन को दिया गया. इसके बाद मालादेवी को ग्रामसभा की बैठक में बुलाकर सूचित किया गया कि उनका चयन बिहार सरकार की योजना सततजीवोकोपार्जन योजना के तहत ग्राम संगठन द्वारा किया गया है. इसके बाद ग्राम संगठन में मालादेवी के लिए फास्टफूड की दुकान के लिए माइक्रोप्लानिंग की गई. सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी करते हुए 2021 में MRP के सहयोग से MARCH 2021 में LIF की राशि से 20000 रुपये की खरीदारी कर सम्पति के रूप में माला को दी गई. ग्राम संगठन के माध्यम से विशेष निवेश निधि के रूप में माला को 10000  रुपये दिए गए. इस पूंजी को व्यवसाय में लगाकर माला पूरे दिन में 1500 से 1600 रुपये की बिक्री करने लगी. व्यवसाय में मिले लाभ से माला ने अपने पति का भी इलाज करवाया वो आज स्वस्थ्य हैं.

 हीरा जीविका महिला ग्राम संगठन से जीविकोपार्जन अंतराल राशि प्रत्येक महीना एक हजार रुपया के हिसाब से सात महीने के लिए सात हजार रुपया ग्राम संगठन द्वारा प्रदान की गई. MRP मनीषा कुमारी और BRP संजय कुमार द्वारा समय-समय पर उत्साहवर्धन किया गया. धीरे धीरे लाभ कमाकर माला ने एक कॉस्मेटिक की दुकान भी खोली.जिविकोपार्जन के सभी मापदंडों को पूरा करने पर  मालादेवी के उत्साह को देखते हुए उन्हें second  tranche का फंड 18000 रु प्राप्त हुआ. इसे उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाने में लगाया और एक कपड़े की दुकान भी खोल ली. उनके पति दुकान चलाने लगे और माला कॉस्मेटिक की दुकान चलाने लगी.माला के बच्चे भी अब स्कूल पढ़ने जाते हैं. पूरा परिवार हंसी खुशी जीवन व्यतीत कर रहा है.

माला देवी भविष्य में अपने व्यवसाय को कॉस्मेटिक होलसेल  के व्यवसाय में बदलना चाहती हैं. वह अपने बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दिलाना चाहती हैं. माला जीविका और सततजीविकोपर्जन योजना को दिल से धन्यवाद देती है. माला का कहना है कि इसकी वजह से भी वो इतना आगे बढ़ पाई.

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