Uttarakhand: उत्तरकाशी में पारंपरिक पंचकोसी वारुणी यात्रा का किया गया आयोजन

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Dehradun: उत्तरकाशी में पारंपरिक पंचकोसी वारुणी यात्रा का आयोजन किया गया। यात्रा के दौरान खड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए श्रद्धालु वरुणावत शिखर पर ज्ञानेश्वर महादेव और ज्वाला माता मंदिर पहुंचे। मंदिर में श्रद्धालुओं ने पारंपरिक गीतों पर यात्रा पूरी करना का उल्लास मनाया।

उत्तरकाशी में चैत्र त्रयोदशी को पंचकोसी वारुणी यात्रा का आयोजन किया जाता है। चुंगी बड़ेथी में गंगा और वरुणा नदी के संगम से जल लेकर शुरू होने वाली यात्रा विभिन्न मंदिरों से होते हुए बाबा काशी विश्वनाथ में जलाभिषेक के साथ समाप्त होती है। इस साल भी पंचकोसी वारुणी यात्रा का भव्य आयोजन किया गया। यात्रा में अतिथि देवो भव की परम्परा देखने को मिली। यात्रा पड़ाव के दौरान सभी गांव के ग्रामीणों ने निस्वार्थ भाव से यात्रियों को जलपान कराकर सेवा की। यात्रा के दौरान खड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए श्रद्धालु वरुणावत शिखर पर ज्ञानेश्वर महादेव और ज्वाला माता मंदिर पहुंचे। कठिन चढ़ाई के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह दखने लायक रहा। मंदिर में श्रद्धालुओं ने पारंपरिक गीतों पर यात्रा पूरी करना का उल्लास मनाया।

स्थानीय निवासी विपिन नेगी बताते हैं की पंचकोसी(वारुणी) यात्रा का उल्लेख स्कन्द पुराण के केदारखण्ड में है। मान्यता है कि वरुणावत पर्वत के शिखलेश्वर महादेव पर्वत पर भगवान शिव की सभा आयोजित होती थी। जहाँ 33 करोड़ देवता एकत्रित होते थे। और जो श्रद्धालु इस यात्रा को करता है उसकी हर मनोकामना भगवान शिव के साथ 33 करोड़ देवी देवताओं के आशीर्वाद से पूरी होती है। स्थानीय जनप्रतिनिधि इस यात्रा को राज्य यात्रा घोषित करने मांग कर रहे हैं जिससे यात्रा को और भव्य स्वरूप दिया जा सके।

देवभूमि उत्तराखंड में आस्था के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं। उत्तरकाशी की पंचकोसी वारुणी यात्रा ऐसी ही पारंपरिक यात्रा है। जो धार्मिक प्रयोजन तो पूरी करती ही है। साथ ही पारस्परिक सहयोग और आपसी मेलजोल के साथ उल्लास बांटने की सामाजिक परंपरा को भी कायम रखती है।

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