Uttarakhand: दो महीने में छह सेमी से एक मीटर तक धंसा जोशीमठ

Uttarakhand: जोशीमठ में सबसे अधिक भू-धंसाव (earth subsidence) दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच हुआ। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट, हैदराबाद (National Institute of Geophysical Institute Hyderabad) के अध्ययन में एक किमी लंबाई की लाइन में सेटेलाइट से लिए चित्रों में जोशीमठ के 6 सेमी से एक मीटर तक धंसने के आंकड़े दर्ज किए गए। हालांकि एक मीटर तक भू-धंसाव एक सीमित क्षेत्र में था। इसके साथ ही जमीन के भीतर 10 मीटर तक बड़े बोल्डरों का पता चला।
मोटे आवरण वाले क्षेत्रों में हैं जमीन में दरारें
एनजीआरआई की जोशीमठ में भू-वैज्ञानिक और भू-तकनीकी के आधार पर प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां की चट्टानें और उसमें मौजूद मिट्टी या दूसरे कण पूरे जोशीमठ में एक समान नहीं हैं, इसकी अधिकतम मोटाई नालों और नालों के आसपास देखी गई है। जमीन में दरारें ज्यादातर मोटे आवरण वाले क्षेत्रों में देखी गई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) फॉल्ट-लाइन के ऊपर बसा है। यह लाइन हेलंग में जोशीमठ के दक्षिण के करीब से गुजरती है, जिससे चट्टानें संरचनात्मक रूप से कमजोर और कट जाती हैं। यहां छोटे-छोटे भूकंप दर्ज किए जाने हैं लेकिन भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना से इनकार किया गया है।
20 से 35 मीटर से भी अधिक है गहराई
जोशीमठ के भूगर्भीय सर्वेक्षण में सामने आया कि कठोर चट्टानों के ऊपर 35 मीटर से भी अधिक का मलबा जमा है, जो ग्लेशियर और लैंडस्लाइड से जमा हुआ है। इस मलबे में करीब 15 मीटर की मोटी परत कम कठोरता वाली मृदु मिट्टी से बनी है। दूसरी परत 20 मीटर पर है, जो अधिक कठोर और घनी है। इसके नीचे एक बार फिर से कम कठोरता वाली परत है। जोशीमठ में उत्पन्न दरारें धरातल पर करीब 50 सेंटीमीटर तक चौड़ी हैं। इनकी चौड़ाई अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग है। जबकि गहराई 20 से 35 मीटर से भी अधिक है।
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